Edited By Jyoti,Updated: 30 Nov, 2019 10:21 AM
एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में ठहरे हुए थे। लोग अपनी परेशानियों को लेकर उनके पास जाते और उनका हल लेकर खुशी-खुशी वहां से लौटते। उसी गांव में सड़क के किनारे एक भिखारी बैठा करता था।
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एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में ठहरे हुए थे। लोग अपनी परेशानियों को लेकर उनके पास जाते और उनका हल लेकर खुशी-खुशी वहां से लौटते। उसी गांव में सड़क के किनारे एक भिखारी बैठा करता था। वह बुद्ध के पास आने-जाने वाले लोगों को ध्यान से देखता। उसे बड़ा आश्चर्य होता कि लोग अंदर तो बड़ा दुखी चेहरा लेकर जाते हैं लेकिन वापस आते हैं तो बड़े प्रसन्न दिखाई देते हैं। उस गरीब को लगा कि क्यों न वह भी अपनी समस्या को बुद्ध के सामने रखे। मन में यह विचार लिए एक दिन वह भी महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा।
लोग पंक्तिबद्ध खड़े होकर उन्हें अपनी समस्याएं बता रहे थे। जब उसकी बारी आई तो उसने सबसे पहले महात्मा को प्रणाम किया और कहा, ''भगवन, इस गांव में लगभग सभी लोग खुश और समृद्ध हैं। फिर मैं ही क्यों गरीब हूं?" इस पर बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले, ''तुम गरीब और निर्धन इसलिए हो क्योंकि तुमने आज तक किसी को कुछ दिया ही नहीं।"
आश्चर्यचकित गरीब बोला, ''भगवन! मेरे पास भला दूसरों को देने के लिए क्या है? मेरा तो स्वयं का गुजारा बहुत मुश्किल से हो पाता है। लोगों से भीख मांग कर अपना पेट भरता हूं। मैं लोगों को क्या दे सकता हूं?"
भगवान बुद्ध कुछ देर शांत रहे, फिर बोले, ''तुम बड़े अज्ञानी हो। औरों के साथ बांटने के लिए ईश्वर ने तुम्हें इतना कुछ दिया है और तुम्हें खबर ही नहीं। थोड़ा सोचो, तो तुम्हें पता चलेगा कि ईश्वर ने कैसी बड़ी-बड़ी चीजें तुम्हें दी हैं जो तुम आसानी से दूसरों को दे सकते हो। सबसे पहले तो मुस्कुराहट दी है, जिससे तुम लोगों में आशा का संचार कर सकते हो। मुंह से 2 मीठे शब्द बोल सकते हो। दोनों हाथों से लोगों की मदद कर सकते हो। ईश्वर ने जिसको ये 3 चीजें दी हैं वह कभी निर्धन हो ही नहीं सकता। निर्धनता का विचार व्यक्ति के मन में होता है। यह तो एक भ्रम है, इसे निकाल दो।"
यह सुन कर उस भिखारी का चेहरा चमक उठा।