ये है देश का एकलौता ऐसा मंदिर, जहां विराजमान है हनुमान जी का पुत्र

Edited By Jyoti,Updated: 29 Apr, 2022 06:22 PM

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रामायण को हिंदू धर्म का बेहद पवित्र ग्रंथ माना जाता है, जिसके प्रमुख पात्र श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता, रावण व विभिषण आदि इन सभी से लगभग हर कोई वाकिफ होता ही है, लेकिन आज हम बात जिस पात्र की बात करने

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रामायण को हिंदू धर्म का बेहद पवित्र ग्रंथ माना जाता है, जिसके प्रमुख पात्र श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता, रावण व विभिषण आदि इन सभी से लगभग हर कोई वाकिफ होता ही है, लेकिन आज हम बात जिस पात्र की बात करने जा रहे हैं उसके बारे में उसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं, मकरध्वज की जिसका नाम कुछ ही लोगों ने सुना होगा। रामायण के अनुसार मकरध्वज जी का जन्म हनुमान जी के पसीने की बूंद से हुआ था। जिस कारण इन्हें बजरंगबली के पुत्र का दर्जा प्राप्त है। बताया जाता है पूरे भारत में इनका एक ही मंदिर है, जो ग्वालियर में स्थित है। 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का इतिहास बेहद पुराना होने के साथ-साथ दिलचस्प भी है। कहा जाता है इस मंदिर से पाताल को रास्ता जाता है। तो आईए जानते हैं घने जंगलों व ऊंची पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर के बारे में- 
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बता दें यह प्राचीन मंदिर ग्वालियर के करहिया क्षेत्र के जंगलों में स्थित है जो कि प्राकृतिक गुफाओं से परिपूर्ण है। लोक मान्यता के अनुसार यहां वह गुफा भी है जो रामायण काल में श्री राम और रावण में हुए युद्ध की गाथा दर्शाती हैं। तो वहीं यहा के लोगों का मानना है कि आज भी मंदिर परिसर में अनवरत जल की धारा बहती है जो एक कुंड में पहुंचती हैं। यहां प्राचीन सात मंजिला इमारत बनी हुई हैं जिसे सतखंडा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस पहाड़ों के बीच से निकलने वाली जलधारा जो एक गोमुख से निकलती है वो प्राकृतिक वनस्पतियों से होकर आती है। इस जल को पीने से बच्चों एवं वृद्धों के भीष्ण से भीष्ण रोग खत्म हो जाते हैं।
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मंदिर से संबंधित पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रामायण काल में श्रीराम और रावण के बीच भारी महासंग्राम छिड़ा हुआ था उस दौरान श्रीराम की सेना का पराक्रम अद्भुत था और रावण की सेना को पराजय का सामना करना पड़ रहा था। जब रावण की सेना के सभी योद्धा एक-एक करके महासंग्राम में मारे जाने लगे तभी उसे अपने भाई अहिरावण की याद आई और उसने उसको श्री राम और उनके भ्राता लक्ष्मण को अपहरण कर पाताल लोक ले जाने का आदेश दिया था। तब अहिरावण श्रीराम लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक इसी जगह से लेकर गया था। मान्यताओं के अनुसार करहिया के जंगल में स्थित पहाड़ों के बीच मकरध्वज मंदिर की गुफा ही एकमात्र रास्ता है जो पाताल लोक  को जाता है। 
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इस दौरान मकरध्वज को पहरेदार बनाकर गुफा के द्वार पर खड़ा किया गया था। तब पवन पुत्र हनुमान जी राम लक्ष्मण का पता लगाते हुए इस गुफा के द्वार पर पहुंचे तो वहां मकरध्वज नामक योद्धा द्वार पर खड़ा देखा। जब हनुमान जी ने पाताल लोक जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए तो दोनों में भीषण युद्ध हुआ। जब दोनों में से कोई एक दूसरे को कोई परास्त नहीं कर सका तब हनुमान जी ने कहा हे वानर राज!, तुम कौन हो। 
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तब मकरध्वज ने अपनी कहानी सुनाई और बताया कि मैं हनुमान जी का पुत्र हूं। जब लंका में हनुमान जी आग लगाकर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने के लिए पहुंचे थे उसी समय उनके पसीने की एक बूंद को मछली ने निगल लिया था उसी से मेरा जन्म हुआ है तब हनुमान जी ने कहा कि मैं ही तुम्हारा पिता हूं। 
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तब मकरध्वज ने कहा कि मैं धर्म के बंधन में बंधा हुआ हूं इसलिए आप मुझे जंजीरों से बांधकर पाताल लोक जा सकते हैं तब हनुमान जी मकरध्वज को जंजीरों से बांधकर पाताल लोक गए और अहिरावण की भुजा उखाड़कर उसे मारकर श्री राम लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचा लिया। बाद में मकरध्वज को जंजीरों से मुक्त करते हुए उसे पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया। कालांतर में यहां मकरध्वज का मंदिर बना दिया गया जो आज भी बना हुआ है।
 
 

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