Margashirsha Amavasya 2025: घर की तरक्की और शांति के लिए इस अमावस्या पर करें ये विशेष दान

Edited By Updated: 18 Nov, 2025 12:00 PM

margashirsha amavasya 2025

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में अत्यधिक विशेष महत्व है। इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस तिथि को पितरों को समर्पित माना गया है। यह वह दिन है जब पवित्र स्नान, तर्पण, पिंडदान...

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Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में अत्यधिक विशेष महत्व है। इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस तिथि को पितरों को समर्पित माना गया है। यह वह दिन है जब पवित्र स्नान, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है। पितृ दोष वह स्थिति है जब पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष या शांति नहीं मिल पाती, जिसके कारण परिवार में अशांति, धन हानि, विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में बाधा और कार्यों में लगातार रुकावटें आने लगती हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन विधि-विधान से किए गए दान से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं वे 5 महत्वपूर्ण चीजें जिनका मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है-

काले तिल 
ज्योतिष में काले तिल का संबंध शनि देव और पितरों से माना गया है। तिल का दान करने से पितरों को शांति मिलती है और उन्हें तृप्ति प्राप्त होती है। यह न केवल पितृ दोष बल्कि कालसर्प दोष के निवारण में भी सहायक माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या की सुबह पवित्र नदी में स्नान करें । इसके बाद हाथ में जल, पुष्प और काले तिल लेकर तर्पण करें। तर्पण के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को काले तिल का दान अवश्य करें।

अन्न
अन्न का दान करना सनातन धर्म में महादान की श्रेणी में आता है क्योंकि यह जीवन का आधार है। अमावस्या पर किए गए अन्न दान से पितरों को सीधे तृप्ति मिलती है। अन्न दान करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती और दरिद्रता दूर होती है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश पूरे विधि-विधान से श्राद्ध या पिंडदान नहीं कर पाता, तो अन्न दान करने मात्र से भी पितर प्रसन्न होते हैं।

वस्त्र या कंबल
मार्गशीर्ष का महीना शी
तकाल के करीब होता है। इस समय वस्त्रों, विशेषकर गर्म वस्त्रों का दान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से उन्हें ठंड से राहत मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दान से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है क्योंकि आप अपने पूर्वजों के नाम पर किसी के कष्ट को दूर करने का कार्य करते हैं। अमावस्या के दिन किसी गरीब व्यक्ति या वृद्ध आश्रम में सफेद रंग के वस्त्र या कंबल का दान करें। दान करते समय पितरों का स्मरण करें और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करें।

गुड़ और घी
पूजा-पाठ और यज्ञ में गुड़ और घी का विशेष स्थान है। इनका दान करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। गुड़ और घी शुक्र ग्रह और गुरु ग्रह को मजबूत करते हैं, जिससे आर्थिक स्थिति सुधरती है और विवाह, संतान आदि से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। इनका दान पितरों को ऊर्जा प्रदान करता है और वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं। गुड़ और घी को किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ दान करें। यदि भोजन कराना संभव न हो, तो किसी साफ बर्तन में गुड़ और घी रखकर मंदिर में या किसी योग्य व्यक्ति को दान दें।

दीपक और तेल
मार्गशीर्ष अमावस्या की शाम को दीपदान का विशेष महत्व है। तेल और दीपक का दान भी इस श्रेणी में आता है। दीपक ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। अमावस्या की रात सबसे अंधेरी रात होती है इसलिए इस दिन दीपदान करने से जीवन से अंधकार और नकारात्मकता दूर होती है। पितरों के मार्ग को आलोकित करने के लिए यह दान महत्वपूर्ण माना गया है। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही, किसी मंदिर के पुजारी को या गरीब व्यक्ति को सरसों का तेल दान करें। यह उपाय पितृ दोष के प्रभाव को शांत करने और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने में बहुत सहायक है।

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