मोहिनी एकादशी दिलाती है सफलता, 23 मई को शुभ योग में है व्रत

Edited By Jyoti,Updated: 18 May, 2021 03:49 PM

mohini ekadashi 2021

हमारे शास्त्रों में एकादशी के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हर महीने 2 बार एकादशी आती है । इस हिसाब से 1 साल में 24  एकादशियाँ होती हैं।

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हमारे शास्त्रों में एकादशी के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हर महीने 2 बार एकादशी आती है । इस हिसाब से 1 साल में 24  एकादशियाँ होती हैं। इनमें वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी को हमारे शास्त्रों में बहुत अहमियत दी गई है। ऐसी मान्यता भी है कि मोहिनी एकादशी सभी व्रतों में सबसे प्राचीन है और पदम पुराण में इस का उल्लेख  है ।  धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा। अमृत को लेकर दोनों पक्षों में युद्ध की स्थिति आ गई थी। तब भगवान विष्णु ने अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था और संयोग से उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि के मोहिनी स्वरूप की पूजा का विधान है।

 इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मोहनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है और व्यक्ति धीरे धीरे मोहजाल से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। यह भी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से व्‍यक्ति को पूर्वजन्म और इस जन्‍म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। अगर आपके काम पूरे नहीं होते, संघर्ष के बाद भी सफलता नहीं मिलती और बनते-बनते बात बिगड़ जाती है तो मोहिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। शुक्रवार 23 मई को पड़ने वाली कामदा एकादशी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं।  जिस दिन पहले हस्त नक्षत्र फिर चित्रा नक्षत्र रहेगा । इसे बेहद शुभ माना जाता है। 

एकादशी तिथि 22 मई 2021 को सुबह 09:15 बजे से प्रारंभ होगी और
23 मई 2021 को सुबह 06:42 बजे तक रहेगी। 
पारणा मुहूर्त  24 मई सुबह 05:26 बजे से सुबह 08:10 बजे तक होगा।

23 मई को प्रात: काल उठकर स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। भगवान विष्णु जी को चंदन, अक्षत, पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएं। भगवान विष्णु को पीला रंग अधिक प्रिय है। इसलिए पूजा में पीले पुष्पों का प्रयोग करें। भगवान विष्णु की आरती करें। व्रत के नियमों का पालन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें। इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें। फिर दिन भर व्रत नियमों का पालन करें और अगले दिन व्रत का पारण करें। 

यह एकादशी व्रत समस्त पापों का क्षय करता है तथा व्यक्ति के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को समाज, परिवार तथा देश में प्रतिष्ठा मिलती है तथा उसकी ख्याति चारों ओर फैलती है।

यह व्रत सभी मोह बंधनों से मुक्त करने वाला है और समस्त पापों का नाश करने वाला है। एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मृत्यु के बाद मिलने वाली नर्क की यातनाओं से छुटकारा मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार मोहिनी एकादशी का विधिवत व्रत करने से मनुष्य मोह-माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। साथ ही व्रती के समस्त पापों का नाश हो जाता है। एकादशी के दिन इनमें से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप अवश्‍य करना चाहिए।

मंत्र  हैं-  - ॐ विष्णवे नम: 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

इसके अलावा इएकादशी के दिन गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। 

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

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