यमलोक के दु:खों से बचना है तो इस विधि से करें पापांकुशा एकादशी व्रत

Edited By Updated: 15 Oct, 2021 08:53 AM

papankusha ekadashi

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस बार

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Papankusha Ekadashi 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस बार यह एकादशी 16 अक्टूबर 2021, शनिवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल प्राप्त करते हैं, वही फल इस एकादशी पर शेषनाग पर शयन करने वाले श्रीविष्णु की आराधना करने से ही मिल जाते हैं और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पड़ते हैं। यह एकादशी उपवासक (व्रत करने वाले) के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस, स्त्री पक्ष तथा दस पीढ़ी मित्र पक्ष का उद्धार कर देते हैं। वे दिव्य देह धारण कर चतुर्भुज रूप हो, पीतांबर पहने और हाथ में माला लेकर गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को जाते हैं अर्थात पितरों की मुक्ति हो जाती है। यह एकादशी स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्यता, सुंदर स्त्री तथा अन्न और धन भी देने वाली है। एकादशी के व्रत के बराबर गंगा, गया, काशी, कुरुक्षेत्र और पुष्कर भी पुण्यवान नहीं हैं। हरिवासर तथा एकादशी का व्रत करने और जागरण करने से सहज ही में मनुष्य विष्णु पद को प्राप्त होता है।

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Papankusha ekadashi vrat vidhi इस व्रत की विधि इस प्रकार है
एकादशी तिथि पर सात धान्य अर्थात गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल व इनसे बने भोज्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए क्योंकि इन सातों धान्यों की पूजा एकादशी के दिन की जाती है। एकादशी तिथि को भोजन में तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

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एकादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही लेना चाहिए यानी एक समय फलाहार का या फिर बिना भोजन का। संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है।

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इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।  इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि ( 17 अक्टूबर 2021, रविवार ) की सुबह ब्राह्मणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद होता है।  

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM).

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