Paro 2022: इस पावन स्थान के सुंदर नजारों में खो से जाएंगे

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Apr, 2022 01:00 PM

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What is Paro in Bhutan: भूटान एकमात्र ऐसा देश है, जिसने विकास से ज्यादा कुदरत को प्राथमिकता दी है। पूरी दुनिया में सबसे खुशहाल देश के रूप में

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What is Paro in Bhutan: भूटान एकमात्र ऐसा देश है, जिसने विकास से ज्यादा कुदरत को प्राथमिकता दी है। पूरी दुनिया में सबसे खुशहाल देश के रूप में जाना जाने वाला भूटान प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। इस देश में जंगल, पहाड़ और उससे जुड़े मैत्रीपूर्ण मानव समाज को देखना किसी के लिए भी खास अनुभव होता है।

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Where is Paro valley in Bhutan: भूटान जाकर उसकी आत्मा को महसूस करना हो तो आप पारो की ओर रुख कर सकते हैं। यह भूटान की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। राजधानी थिम्पू के पश्चिम में स्थित पारो शहर घाटियों, प्रकृति के खूबसूरत नजारों और शानदार बौद्ध वास्तुकला के संगम के तौर पर मौजूद है। 

What does Paro mean: प्रकृति की गोद में बसे भूटान में पग-पग पर आपको कुछ न कुछ खास मिलेगा। राजधानी थिम्पू से पारो आते वक्त आपके कदम छुजोम में आकर खुद ठहर जाते हैं। यहां पहाड़ों के बीच दो नदियों के मिलन को आप निहारते ही रह जाएंगे। ऐसे लगता है कि जैसे दोनों नदियों का पानी कोई संगीत बजा रहा हो। इस जगह पर पारो चू और थिम्पू चू नदियां मिलती हैं जिसकी गूंज आप अपने कानों से सुन सकते हैं। पारो चू नदी किनारे सड़क से होते हुए आप शहर की ओर बढ़ते हैं। यहां के खेत, पर्वत आपका मन को मोह लेते हैं।

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कैसे पहुंचें
भूटान घूमने के लिए पासपोर्ट से ही काम चल जाएगा। भारतीयों को भूटान के लिए वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती। भूटान भारत का अच्छा पड़ोसी है और बेहद करीब है, इसलिए आप चाहें तो बड़ी आसानी से अपनी सुविधा के अनुसार रूट चुन सकते हैं।

सड़क द्वारा : सड़क के रास्ते भूटान जाने के लिए जयगांव पहुंचें, जो पश्चिम बंगाल में पड़ता है। वहां से भूटान में दाखिल होकर परिवहन कार्यालय से परमिट लेकर आप अपनी कार या बाइक से पारो पहुंच सकते हैं।

ट्रेन द्वारा : आप कोलकाता आकर यहां से जयगांव के लिए ट्रेन ले सकते हैं। बता दें कि भूटान के अंदर ट्रेन उपलब्ध नहीं है, लिहाजा सीमा पार करके आपको टैक्सी या बस से बाकी की यात्रा करनी होती है।

विमान द्वारा : पारो में भूटान का एकमात्र हवाई अड्डा है, जहां दिल्ली, कोलकाता, बोधगया, बागडोगरा, गुवाहाटी आदि भारतीय शहरों से सीधे पहुंचा जा सकता है। हवाई अड्डा इतना खूबसूरत है कि एक फिल्म सैट के लिए लगभग सभी शर्तों को पूरा सकता है। ड्रक एयर भूटान की आधिकारिक एयरलाइन है। 

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कैसे ठहरें
आप चाहें तो पारो या थिम्पू में ठहर सकते हैं। यहां 1000 के करीब अच्छे होटल मिल जाएंगे। आप लॉज या होस्टल भी तलाश सकते हैं। जानकारी हो कि यहां की करंसी और भारतीय करंसी एक समान महत्व की है जिससे खर्च के मामले में लगेगा जैसे भारत में ही हैं!

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पारो दाजोंग
पारो शहर प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा इस पुराने किले के लिए भी मशहूर है। 17वीं सदी में बने इस किले की वास्तुकला सबको आकर्षित करती है। लकड़ी और पत्थर से बने इस किले को ऐसे बनाया गया है कि आपको कीलें तक नहीं दिखेंगी। इस किले में प्रवेश के लिए आप टिकट जरूर लें। यह इतना खास है कि आप इसे देखते रह जाएंगे। बताया जाता है कि किसी जमाने में उत्तर से आने वाले दुश्मनों से भूटान को बचाने में इस किले की अहम भूमिका थी। आप छोटे से लकड़ी के पुल को पार करके किले तक पहुंचते हैं। फोटो क्लिक करने के लिए यह बिल्कुल सही जगह है!

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राष्ट्रीय संग्रहालय
पारो का राष्ट्रीय संग्रहालय एक महत्वपूर्ण स्थान है। गोलाकार भवन में भूटान के इतिहास से जुड़ी चीजें आपको देखने को मिल सकती हैं। यहां चित्रकारी और कांस्य की मूर्ति देखकर आप इस देश की कला को परख सकते हैं। यहां एक भूमिगत सुरंग भी है। संग्रहालय के बाहर से शहर को देखने पर बहुत ही शानदार नजारा आपको रोमांचित करता है। यहां से खासकर सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है।

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लाखांग मठ
पारो घाटी में स्थित लाखांग पुराने बौद्ध मठों में से एक है। इसे लेकर कई कहानियां हैं जो यहां के लोगों के अतीत के बारे में बताती हैं। अपनी यात्रा में पारो शहर से उत्तर की दिशा में कुछ दूरी पर मौजूद इस मठ पर जरूर जाएं। बताया जाता है कि बौद्ध धर्म गुरु आचार्य पद्मसंभव पारो की यात्रा के क्रम में यहां पधारे थे। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही पावन जगह है। इस मंदिर में प्रतिमाओं और लकड़ी पर की गई कारीगरी देखने लायक है।

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टाइगर्स नैस्ट
लगभग 3,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित तख्तसांग मठ या टाइगर्स नैस्ट, जैसा कि यह लोकप्रिय है, पारो ही नहीं बल्कि भूटान की पहचान बन चुका है। यह मठ ऐसा दिखता है जैसे पहाड़ी पर लटका हुआ हो। पारो घाटी में इसे बौद्ध भिक्षुओं के ठिकाने के रूप में बनाया गया था। पहाड़ी पर असंभव लगने वाली चढ़ाई को पार करके ही आप इस मठ तक पहुंच सकते हैं। भूटान की लोककथाओं की मानें तो भगवान पद्मसंभव लोगों को राक्षस से बचाने के लिए यहां बाघिन पर सवार होकर आए थे। उन्होंने राक्षस का अंत किया और यहीं तपस्या में लीन हो गए। यही कारण है कि इसे टाइगर्स नैस्ट कहा जाता है। आप यहां पहुंच कर सुंदर नजारों में खो से जाएंगे।

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पारो टाऊन मार्केट
अपनी इस यात्रा में आप पारो टाऊन मार्केट जरूर जाएं। जहां लकड़ी के एक जैसे दो-स्तरीय भवनों की पंक्तियां हैं, जिनके भूतल पर दुकानें बनी हैं। बाजार में आपको भूटानी संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियां और सामान मिलेंगे। आप यहां जरूर खरीददारी करना चाहेंगे। वापसी पर घर के लिए कुछ सामान बतौर गिफ्ट पैक करवा सकते हैं। साथ ही आप जायकेदार भूटानी खाने का भी आनंद ले सकते हैं। यहां आप सूजा बटर और थुप्का का जायका लेना न भूलें। यहां का खाना सस्ता और स्वादिष्ट होता है इसलिए दिल खोलकर खाएं!

इसके अलावा पारो में आप चेले ला पास, रिनपुंग दाजोंग, किला गोम्बा जैसी कई बेहतरीन जगहों का दौरा कर सकते हैं। यह इतनी शानदार जगह है कि आपका इन्हीं वादियों में बस जाने का मन करेगा। यहां आप दो से तीन दिन में सब कुछ अच्छे से देख सकते हैं।

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