Pitru Tarpan at Home: बिना पंडित के मार्गदर्शन के इस सरल और शास्त्रीय विधि से घर पर करें तर्पण, पितरों की आत्मा होगी तृप्त

Edited By Updated: 19 Nov, 2025 07:00 AM

pitru tarpan at home

Pitru Tarpan at Home: अमावस्या, श्राद्ध या पितृपक्ष के दिनों में पितरों को तर्पण करना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। बहुत से लोग मानते हैं कि तर्पण करना कठिन या जटिल होता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार घर पर बैठकर भी सरल विधि से तर्पण...

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Pitru Tarpan at Home: अमावस्या, श्राद्ध या पितृपक्ष के दिनों में पितरों को तर्पण करना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। बहुत से लोग मानते हैं कि तर्पण करना कठिन या जटिल होता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार घर पर बैठकर भी सरल विधि से तर्पण किया जा सकता है और इसका फल उतना ही प्रभावी होता है। तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है, जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और परिवार पर दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहां दी गई घर पर किए जाने योग्य तर्पण-विधि बिल्कुल सरल, शास्त्रीय और हर आयु वर्ग के लिए सहज है। जिसे कोई भी व्यक्ति बिना पंडित के मार्गदर्शन के भी कर सकता है।

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नीचे दी गई तर्पण-विधि पूरी तरह सरल, घर पर करने योग्य, शास्त्रीय नियमों पर आधारित और सभी आयु समूहों के लिए समझने में आसान है। इसे किसी भी अमावस्या, श्राद्ध, पितृपक्ष या विशेष तिथि पर घर में शांत वातावरण में किया जा सकता है।

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Simple Pitru Tarpan at Home घर पर किए जाने योग्य सरल तर्पण-विधि
आवश्यक सामग्री

एक तांबे या स्टील का लोटा
स्वच्छ पानी (यदि हो सके तो थोड़ा गंगाजल मिलाएं)
काला तिल (तिल तर्पण का प्रमुख तत्व है)
कुशा (यदि उपलब्ध न हो तो केवल तिल से भी कर सकते हैं)
पितरों का फोटो (वैकल्पिक न हो तो भी तर्पण पूर्ण माना जाता है)
सफेद फूल
एक दीपक
आसन या चटाई

तर्पण शुरू करने से पहले की तैयारी
स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान या घर के पूर्व/उत्तर-पूर्व कोने को गंगाजल से शुद्ध करें।
एक दीपक प्रज्वलित करें।
तर्पण के दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि दक्षिण दिशा पितरों की मानी गई है।

जल-तर्पण के लिए लोटे की तैयारी
लोटे में: पानी, एक चुटकी काला तिल, एक-दो पुष्प, गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर रखें।

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तर्पण-विधि
पितृ-आवाहन

दोनों हाथ जोड़कर कहें, “मेरे कुल के सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों, आज आपके लिए यह तर्पण समर्पित है। कृपया इसे स्वीकार करें।”

जल-अर्पण
दाहिने हाथ की अंजलि बनाएं (उंगलियों के जोड़ से जल गिराएं) और दक्षिण दिशा की ओर जल अर्पित करें। हर बार जल गिराते हुए मंत्र बोलें।

मंत्र : ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः (यह मंत्र तीन, पांच, या ग्यारह बार बोल सकते हैं) प्रत्येक मंत्र पर थोड़ा-थोड़ा जल अर्पित करें।

कुटुंब के सभी पितरों को तर्पण
अब कहें: “मातृपक्ष और पितृपक्ष के सभी पूर्वजों को यह तर्पण समर्पित है।” और दो बार जल अर्पित करें।

विशेष तर्पण
यदि किसी विशेष परिजन का तर्पण करना हो तो कहें— “(नाम) को स्वधा तर्पयामि।” और जल अर्पित करें। नाम लेना वैकल्पिक है, न लें तब भी तर्पण संपूर्ण माना जाता है।

तर्पण के बाद की संकल्प-वाणी
अंत में हाथ जोड़कर कहें, “हे पितरों, यदि इस विधि में मुझसे कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करें। कृपया मेरे परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।”

समापन विधि
दीपक को कुछ मिनट तक जलने दें। यदि संभव हो तो किसी पक्षी, गाय, कुत्ते या कौए को कुछ भोजन जरूर खिलाएं। दिन भर सात्विकता रखें, घर में अनावश्यक शोर या झगड़ों से बचें।

इस सरल तर्पण-विधि के लाभ
पितृदोष शांत होता है।
घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
मन-चिंता और रुकावटों में कमी।
परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।

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