Guruwar Vrat 2025: नवंबर के अंतिम गुरुवार इस शुभ मुहूर्त और विधि से करें विष्णु जी की पूजा, हर इच्छा होगी पूर्ण

Edited By Updated: 27 Nov, 2025 08:03 AM

guruwar vrat 2025

नवंबर महीने का आखिरी गुरुवार एक अत्यंत शुभ और विशेष दिन माना जाता है। यह दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और ज्ञान तथा सौभाग्य के प्रतीक देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है।

Guruwar Vrat 2025: नवंबर महीने का आखिरी गुरुवार एक अत्यंत शुभ और विशेष दिन माना जाता है। यह दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और ज्ञान तथा सौभाग्य के प्रतीक देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है। ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र तिथि पर विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और अटके हुए काम पूरे होते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में धन, ज्ञान, और वैवाहिक सुख बना रहे, तो आपको इस दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।  तो आइए जानते हैं नवंबर के इस महत्वपूर्ण गुरुवार व्रत का महत्व क्या है, पूजा की सही विधि क्या है, और इस दौरान किन नियमों का पालन करना सबसे जरूरी है।

Guruwar Vrat 2025

गुरुवार का दैनिक पंचांग 2025 
अभिजीत मुहूर्त- दिन का सबसे शुभ समय सुबह 11 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक चलेगा। यह किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए उत्तम है।

राहुकाल- अशुभ माना जाने वाला राहुकाल दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।

आज का पर्व/त्योहार- इस तिथि पर कोई बड़ा या विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप अपनी आस्था और परंपरा के अनुसार गुरुवार का व्रत रख सकते हैं।

ग्रहों की स्थिति
सूर्य इस समय वृश्चिक राशि में विराजमान हैं। चंद्रमा दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक मकर राशि में रहेंगे। इसके बाद यह राशि बदलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

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गुरुवार व्रत का महत्व
यह व्रत कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करता है। गुरु को सौभाग्य, ज्ञान, और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है। जिन लोगों के विवाह में बार-बार अड़चनें आती हैं, उन्हें यह व्रत करने की सलाह दी जाती है। साथ ही इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और आर्थिक संपन्नता आती है।

विष्णु पूजा की सरल विधि
गुरुवार के व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
अब पूजा के लिए पीले रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। 
फिर हाथ में जल और चावल लेकर सच्चे मन से व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले वस्त्र और हल्दी अर्पित करें और पंचामृत से स्नान कराएं।
अब चने की दाल, गुड़ और केले का भोग विष्णु जी को लगाएं।
उसके बाद विष्णु जी के मंत्रों और गुरुवार व्रत की कथा का पाठ करें।  
अंत में भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की आरती उतारें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगे।

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