Pradosh Vrat 2025: ज्येष्ठ माह का आखिरी प्रदोष व्रत आज, इस पाठ द्वारा अपने भाग्य को करें मजबूत

Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Jun, 2025 06:26 AM

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Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और आज 8 जून को ज्येष्ठ माह का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा। रवि प्रदोष का विशेष महत्व है

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Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और आज 8 जून को ज्येष्ठ माह का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा। रवि प्रदोष का विशेष महत्व है क्योंकि रविवार का दिन सूर्य देव का दिन होता है और शिव-सूर्य का यह संगम अत्यंत शुभ फलदायक माना जाता है। इस दिन शिव चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विशेषकर धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत और शिव चालीसा के महत्व के बारे में विस्तार से। प्रदोष व्रत रखने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य भी आता है। विशेष रूप से रवि प्रदोष, जो रविवार को पड़ता है, वह सूर्य देव और शिव जी की संयुक्त पूजा का दिन होता है। सूर्य देव जीवन ऊर्जा के स्रोत हैं और शिव जी संहारक तथा पालनहार। दोनों की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अद्भुत बदलाव आते हैं।

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।शिव चालीसा।।

।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
।।चौपाई।।
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि बिधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

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शिव चालीसा का पाठ करने के फायदें-

शिव चालीसा के पाठ से न केवल मन की शांति मिलती है बल्कि आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं। माना जाता है कि यह व्रत और पाठ धन के देवता कुबेर को भी प्रसन्न करता है जिससे धन लाभ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

जीवन में यदि कोई बाधाएं, तनाव या रोग बाधक बने हों, तो प्रदोष व्रत और शिव चालीसा के पाठ से ये दूर होते हैं। यह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक सभी तरह की बाधाओं को मिटाने में मददगार साबित होता है।

शिव चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति को आत्मज्ञान और मानसिक शक्ति से भर देता है। इससे जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

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