Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Aug, 2025 03:07 PM

Radha Ashtami upay: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। यह वही दिन है, जब श्री राधा रानी का प्राकट्य हुआ था। इसे राधा जन्मोत्सव भी कहते हैं। विशेष रूप से बरसाना, वृंदावन और मथुरा में यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया...
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Radha Ashtami upay: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। यह वही दिन है, जब श्री राधा रानी का प्राकट्य हुआ था। इसे राधा जन्मोत्सव भी कहते हैं। विशेष रूप से बरसाना, वृंदावन और मथुरा में यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। राधा अष्टमी भक्ति, प्रेम और कृपा की पराकाष्ठा का पर्व है। इस दिन राधा जी की उपासना से जीवन में आध्यात्मिक सुख, पारिवारिक सौहार्द और दैवीय कृपा मिलती है।
Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी के दिन भक्ति की सिद्धि होती है। इस दिन राधा जी की पूजा से साधक के जीवन में गहन भक्ति जाग्रत होती है। प्रेम और वैवाहिक सुख जो विवाहित/अविवाहित भक्त राधा रानी की आराधना करते हैं, उन्हें प्रेम और दांपत्य सुख मिलता है। संपूर्ण सुख-समृद्धि राधा जी को सर्वशक्तिशाली कृपा स्वरूपा माना गया है, उनकी कृपा से जीवन में लक्ष्मी, सौभाग्य और आनंद आता है। कष्ट निवारण राधा जी की उपासना से मनुष्य के हृदय से अहंकार, मोह और दुख मिट जाते हैं।

Special measures on Radha Ashtami राधा अष्टमी पर विशेष उपाय
वैवाहिक जीवन में मधुरता के लिए विवाहित स्त्रियां राधा जी को लाल चुनरी, सिंदूर व चूड़ियां चढ़ाएं।
अविवाहित विवाह हेतु राधा जी के सामने घी का दीपक जलाकर राधे-कृष्ण का जाप करें।
धन-समृद्धि के लिए राधा जी को मिश्री, दूध और तुलसी पत्र अर्पित करें।
किसी भी तरह का कष्ट निवारण चाहते हैं तो राधा अष्टमी के दिन 108 बार “राधे राधे” मंत्र का जाप करें।
संतान सुख की प्राप्ति के लिए राधा जी को सवा किलो खीर बनाकर अर्पित करें और बाद में कन्याओं में बांट दें।

What should be done on the day of Radha Ashtami राधा अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए ?
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ, विशेषकर पीले या लाल वस्त्र धारण करें। राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। राधा जी को पुष्प (विशेषकर लाल गुलाब, कमल, गेंदा), चूनरी और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। राधा अष्टमी व्रत कथा सुनें और “राधे राधे” नामस्मरण करें। राधा जी को माखन-मिश्री, मालपुआ, खीर या पान का भोग लगाएं। इस दिन हरिनाम संकीर्तन और भागवत कथा श्रवण का भी विशेष महत्व है।
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