Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Aug, 2025 03:05 PM

Radha Rani's feet darshan: राधा अष्टमी पर ही क्यों होते हैं राधा रानी के चरण दर्शन, इसका कारण शास्त्रीय, परंपरागत और आध्यात्मिक तीनों दृष्टियों से अलग-अलग है। कहा भी गया है, “राधा चरणन की धूलि बिना, न मिले ब्रज रस की अनमोल झलक।”
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Radha Rani's feet darshan: राधा अष्टमी पर ही क्यों होते हैं राधा रानी के चरण दर्शन, इसका कारण शास्त्रीय, परंपरागत और आध्यात्मिक तीनों दृष्टियों से अलग-अलग है। कहा भी गया है, “राधा चरणन की धूलि बिना, न मिले ब्रज रस की अनमोल झलक।”
इसलिए राधा रानी के चरण दर्शन साल में केवल एक बार राधा अष्टमी पर ही होते हैं, ताकि भक्तों को उनके दुर्लभ स्वरूप और कृपा का विशेष अनुभव मिल सके।
शास्त्रीय कारण
राधा रानी का प्राकट्य (जन्म) भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को हुआ था। इस दिन ही बरसाना स्थित श्रीजी मंदिर (जहां राधा जी का मंदिर है) में चरण दर्शन का उत्सव होता है। शास्त्रों में राधा जी को परम गोपनीय स्वरूप कहा गया है। वे स्वयं श्रीकृष्ण की आंतरिक ह्लादिनी शक्ति हैं इसलिए उनके चरणों का दर्शन साधारण दिनों में नहीं कराया जाता।

परंपरागत कारण
बरसाना के श्रीजी मंदिर में राधा रानी की मूर्ति के चरण सामान्यतः ढंके हुए रहते हैं। इसका कारण यह है कि राधा रानी अत्यंत लाजवंती, नम्र और आभा से युक्त स्वरूप हैं। परंपरा कहती है कि राधा रानी की महिमा इतनी महान है कि उनके चरणों का दर्शन भी अत्यंत दुर्लभ है इसलिए केवल उनके प्राकट्य दिन (जन्मोत्सव) पर ही भक्तों को यह सौभाग्य मिलता है।

आध्यात्मिक कारण
राधा रानी गोपनीय भक्ति और अलौकिक प्रेम की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनके चरणों का छिपा रहना यह दर्शाता है कि भक्ति और प्रेम आसानी से प्रकट नहीं होते बल्कि साधना और समय आने पर ही मिलते हैं। साल में केवल एक बार चरण दर्शन होना यह बताता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति दुर्लभ हैं और जब उसका अवसर मिले तो उसे संजो लेना चाहिए। राधा जी अपनी कृपा से ही दर्शन कराती हैं। उनके चरणों का एक झलक पाना ही भक्तों के लिए परम सौभाग्य है। भक्त मानते हैं कि जिस दिन राधा अष्टमी पर चरण दर्शन होते हैं, उस दिन राधा जी की कृपा और आशीर्वाद अनेक गुना बढ़कर मिलते हैं। श्रद्धालु इस दर्शन को जीवन में एक बार मिलने वाला अद्भुत अवसर मानते हैं।
