Ramanathaswamy Temple: रामनाथस्वामी मंदिर में स्थित है दो शिवलिंग, दर्शन करने से मिलती है ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति

Edited By Updated: 02 Aug, 2024 12:30 PM

ramanathaswamy temple

देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं और हर एक मंदिर अपने आप में कोई न कोई कहानी कहता है। भगवान शिव के उन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है रामेश्वरम ज्‍योतिर्लिंग। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के

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Rameshwaram Temple: देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं और हर एक मंदिर अपने आप में कोई न कोई कहानी कहता है। भगवान शिव के उन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है रामेश्वरम ज्‍योतिर्लिंग। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा के बिना चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है। रामेश्वर का पौराणिक नाम गंधमादन है। जिस तरह कटरा में वैष्णो देवी, काशी में भोलेनाथ का मंदिर तीर्थस्थलों में से एक है उसी तरह दक्षिण में रामेश्वरम भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मां सीता ने रेत का शिवलिंग बनाया था और इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने अपने हाथों से की थी। भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग श्री रामनाथस्वामी मंदिर में स्थित है। 

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देश-विदेश से भक्त इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर का नाम भगवान राम के नाम पर रखा हुआ है। जिसमें तीन प्रमुख सन्निधियां- रामनाथ सन्निधि, पर्वत धनी अम्मन सन्निधि, सेतु माधव सन्निधि हैं। इसके अलावा इस मंदिर में तीन बड़ी परिक्रमाएं भी हैं। इस मंदिर में 22 कुंड हैं और मान्यताओं के अनुसार इन कुंडों को भगवान राम ने अपने बाणों से बनाया था और इसमें कई तीर्थ स्थलों का जल मिलाया गया था। इस मंदिर में रखी हुई मूर्तियां एक हजार साल से भी पुरानी हैं। 

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भगवान राम की कर्म भूमि रामेश्वरम
अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था इस वजह से इसे श्री राम की जन्मभूमि कहा जाता है। दूसरी तरफ रामेश्वरम को उनकी कर्मभूमि माना जाता है। जहां से भगवान राम ने माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए अपना सफर शुरू किया था। लंका जाने से पहले भगवान राम ने यहां पर शिव जी की पूजा की थी। भगवान राम की शिव पूजा के दो उल्लेख मिलते हैं। पहला लंका में कूच करने से पहले का और दूसरा माता सीता को रावण की कैद से रिहा करवाने के बाद। यहां पर ही भगवान राम ने अपने हाथों से रेत से शिवलिंग की स्थापना की थी।    

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समय-समय पर होता रहा जीर्णोद्धार
इस मंदिर को शुरुआत में पांड्य वंशज, चोला वंशज, विजयनगर के शासकों और सेतुपति शासकों के द्वारा सुरक्षा की जाती थी। जिन्होंने समय-समय पर इस मंदिर के विकास के लिए कई बदलाव और काम करवाए थे। जिस वजह से इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ गई।

इस मंदिर का एक प्रस्तर हनुमान जी लाए थे
इस मंदिर की स्थापना करने में हनुमान जी ने भी अपना प्रमुख योगदान दिया था। माता सीता ने जो रेत का शिवलिंग बनाया था, उसे ही श्री रामनाथस्वामी शिवलिंग कहा जाता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं। इसके साथ ही भगवान राम ने मंदिर के परिसर में विश्वनाथ स्वामी शिवलिंग की भी स्थापना की थी। यह शिवलिंग उस पत्थर का है, जिसे हनुमान जी काशी से लेकर आए थे। 
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