Religious Katha: अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए, इस व्यर्थ की चीज से रहें दूर

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Oct, 2023 08:21 AM

religious katha

किसी संत के पास एक युवक ज्ञान लेने पहुंचा। विद्या हासिल करने के बाद उसने गुरु को दक्षिणा देनी चाही। गुरु ने कहा, “मुझे दक्षिणा के

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Religious Katha: किसी संत के पास एक युवक ज्ञान लेने पहुंचा। विद्या हासिल करने के बाद उसने गुरु को दक्षिणा देनी चाही। गुरु ने कहा, “मुझे दक्षिणा के रूप में ऐसी चीज लाकर दो जो बिल्कुल व्यर्थ हो।”

PunjabKesari Religious Katha

शिष्य गुरु के लिए व्यर्थ की चीज की खोज में निकल पड़ा। उसने मिट्टी की तरफ हाथ बढ़ाया तो मिट्टी बोल पड़ी, “क्या तुम्हें पता नहीं है कि इस दुनिया का सारा वैभव मेरे ही गर्भ से प्रकट होता है ? ये विविध वनस्पतियां, ये रूप, ये रस और गंध सब कहां से आते हैं ?” यह सुन शिष्य आगे बढ़ गया।

PunjabKesari Religious Katha

थोड़ी दूर जाकर उसे एक पत्थर मिला। शिष्य ने सोचा-क्यों न इस बेकार से पत्थर को ही ले चलूं। लेकिन उसे उठाने के लिए उसने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया पत्थर से आवाज आई, “तुम इतने ज्ञानी होकर भी मुझे बेकार मान रहे हो। जरा बताओ आप अपने भवन किससे बनाते हो ? तुम्हारे मंदिरों में किसे गढ़कर देव प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं ? मेरे इतने उपयोग के बाद भी तुम मुझे व्यर्थ मान रहे हो।” यह सुनकर शिष्य ने फिर अपना हाथ खींच लिया।

PunjabKesari Religious Katha

अब वह सोचने लगा, “जब मिट्टी और पत्थर तक इतने उपयोगी हैं तो फिर व्यर्थ क्या हो सकता है ? तभी उसके मन से एक आवाज आई। उसने गौर से सुना। आवाज कह रही थी, “सृष्टि की हर वस्तु अपने आप में उपयोगी है ? वास्तव में व्यर्थ और तुच्छ तो वह है जो दूसरों को व्यर्थ और तुच्छ समझता है ? व्यक्ति का अहंकार भी एकमात्र ऐसा तत्व है जिसका कहीं कोई उपयोग नहीं होता। यह सुनकर शिष्य गुरु के पास आकर बोला, “गुरुवर, आपको अपना अहंकार गुरु दक्षिणा में देता हूं।” यह सुनकर गुरु बहुत खुश हुए।

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!