जानें क्यों किया श्री कृष्ण ने एकलव्य का वध ?

Edited By Lata,Updated: 28 Mar, 2019 11:30 AM

religious story

एकलव्य को महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ये हिरण्य धनु नामक एक निषाद का पुत्र था

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एकलव्य को महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ये हिरण्य धनु नामक एक निषाद का पुत्र था और जिस कारण गुरु द्रोणाचार्य ने उसे धनुर्विद्या देने से मना कर दिया था। माना जाता है कि इसके बाद एकलव्य ने अपने हाथों से द्रोणाचार्य की एक प्रतिमा बनाई और उसे ही अपना गुरू मानकर उसके सामने धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा और धीरे-धीरे धनुर्विद्या में निपुण हो गया। तो आइए आज जानते हैं महाभारत के इस अद्भुत पात्र के बारे में कि आखिर किस कारण भगवान कृष्ण ने इसका वध किया। 
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एकलव्य बचपन से धनुर्विद्या की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था और जब उसे पता चला कि गुरु द्रोण ने उसे धनुर्विद्या देने से मना कर दिया तो आचार्य द्रोण की एक प्रतिमा बनाकर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा और वह धीरे-धीरे धनुर्विद्या में निपुण हो गया। द्रोणाचार्य को इस बात चला तो वह एक कुत्ते के साथ वन में गए जहां एकलव्य अभ्यास करता था। कुत्ता एकलव्य को देख भौंकने लगा तो कुत्ते के भौंकने को एकलव्य ने अपने बाण से कुत्ते का मुंह इस तरह बंद किया कि उसे कोई नुकसान भी नहीं हुआ। द्रोण और उनके शिष्यों ने ऐसी श्रेष्ठ धनुर्विद्या देख आश्चर्य में पड़ गए। जिस धनुर्विद्या को वे केवल ब्राह्मणों और क्षत्रीय तक सीमित रखना चाहते थे, उसे शूद्र के हाथों में जाता देख उन्हें चिंता होने लगी। तभी उन्हें अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने का वचन याद आया।
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द्रोण ने एकलव्य से पूछा कि यह धनुर्विद्या कैसे सीखी। एकलव्य ने जवाब दिया आपसे आचार्य। एकलव्य ने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर इशारा किया। द्रोण ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में उसके दाएं हाथ का अंगूठा मांगा। एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर गुरु द्रोण को अर्पित कर दिया। 
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इसके बाद वे अपने पिता हिरण्यधनु के पास गया। एकलव्य के पिता श्रृंगवेर राज्य के राजा थे, उनकी मृत्यु के बाद एकलव्य इस राज्य का राजा बना। एकलव्य ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए निषाद भीलों की एक सशक्त सेना बनाई। प्रचलित कथाओं के अनुसार एकलव्य श्रीकृष्ण को शत्रु मानने वाले जरासंध के साथ मिल गया था। जरासंध की सेना की तरफ से उसने मथुरा पर आक्रमण भी किया। एकलव्य ने यादव सेना के अधिकतर योद्धाओं को मार दिया था। जब ये सूचना श्रीकृष्‍ण के पास पहुंची तो वे युद्ध करने आ गए। श्रीकृष्ण जानते थे, अगर एकलव्य को नहीं मारा तो महाभारत युद्ध में वह कौरवों की ओर से लड़ेगा। जिससे पांडवों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। जिसके बाद श्रीकृष्ण और एकलव्य के बीच युद्ध हुआ जिस दौरान एकलव्य श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया था। एकलव्य के वध के बाद उसका पुत्र केतुमान राजा बना था। बता दें कि महाभारत युद्ध में केतुमान कौरवों की सेना की ओर से पांडवों से लड़ा था और भीम के हाथों से मारा गया था।
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