Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Mar, 2023 09:57 AM
दुकान से सामान लाने का स्मरण आते ही तारक ने सहसा नन्हे ध्रुव से कहा, ‘‘ध्रुव बेटे, क्या दुकान से कुछ सामान ला सकते हो?’’
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Rites of passage Facts for Kids: दुकान से सामान लाने का स्मरण आते ही तारक ने सहसा नन्हे ध्रुव से कहा, ‘‘ध्रुव बेटे, क्या दुकान से कुछ सामान ला सकते हो?’’
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‘‘जी ताया जी। मैं जल्दी से सामान ले आऊंगा, आप रुपए दे दीजिए।’’
तारक पांडे ने रुपए दिए तो ध्रुव झोला लेकर दुकान की ओर दौड़ गया। कुछ देर में लौट कर बोला, ‘‘लीजिए ताया जी, सामान और छुट्टे पैसे।’’
‘‘वाह ध्रुव, बड़ी जल्दी आ गए बेटा। थैंक्स।’’ सामान और बकाया पकड़ते तारक ने ध्रुव को शाबाशी दी।
तारक बोले, ‘‘ओ.के.। यह लो 10 रुपए और ‘चीजी’ ले लेना।’’
‘‘नहीं ताया जी, यह गलत होगा।’’
‘‘अरे नहीं बेटा, मैं दे रहा हूं, ले लो न।’’
‘‘ताया जी, आप मुझे अच्छी-अच्छी बातें और कहानियां सुनाते हैं, हैं न...?’’
‘‘हां पुत्तर, किन्तु रुपए तो रख लो।’’
‘‘आप मुझमें निकम्मा बनने और बेईमानी के संस्कार कैसे डाल सकते हैं।’’
‘‘मैं समझा नहीं बेटे?’’
‘‘आप ने कुछ नहीं कहा ताया जी, किन्तु बिना मेहनत किए छोटे से काम के लिए मुझे रुपए देंगे तो मुझमें परिश्रम करने के गुण नहीं आ पाएंगे, मैं मुफ्तखोर और बेईमान बनूंगा।’’
बहुत आदर से ध्रुव ने सयानों की तरह कहा। ‘‘मैं ऐसा कदापि नहीं चाहूंगा।’’ अपने घर जाते हुए ध्रुव ने सादर सहित कहा।
‘‘जरूर पुत्तर।’’ तारक पांडे से उसका उत्तर देते न बना था।
‘‘काश, सभी बेटे तुम्हारी तरह होते।’’ तारक पांडे धीरे से बुड़बुड़ाए और निढाल से घर में प्रवेश कर गए।