Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Oct, 2025 02:00 PM

Roop Chaudas Upay 2025: रूप चौदस जिसे नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली भी कहा जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सौंदर्य, आरोग्य और आंतरिक पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन शरीर,...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Roop Chaudas Upay 2025: रूप चौदस जिसे नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली भी कहा जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सौंदर्य, आरोग्य और आंतरिक पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि से व्यक्ति के भीतर दिव्य तेज और आभा उत्पन्न होती है, जो उसे दीर्घायु और यौवनवान बनाती है।
पद्म पुराण में कहा गया है – “चतुर्दश्यां तु या कृतं स्नानं, रूपतेजस्समायुतम्।”
अर्थात — इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के रूप और तेज में वृद्धि होती है।

According to the scriptures, to remain young, do these measures on Roop Chaudas शास्त्रों के अनुसार जवान बने रहने के लिए रूप चौदस पर करें ये उपाय
अभ्यंग स्नान (तेल स्नान)
रूप चौदस के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व तिल के तेल या सरसों के तेल से शरीर पर मालिश कर स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। शास्त्र कहते हैं कि इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, त्वचा में चमक आती है और व्यक्ति दीर्घायु व यौवनवान रहता है।
चंदन और गुलाब जल का प्रयोग
स्नान के बाद चंदन, केसर और गुलाब जल का लेप लगाने से शरीर में शीतलता और दिव्यता आती है। यह उपाय त्वचा को युवा और निर्मल बनाता है।
आत्मिक शुद्धि के लिए दीपदान
रात में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज के नाम का दीपक जलाना चाहिए। यह प्रतीकात्मक रूप से अंधकार (अज्ञान और रोग) को दूर करता है और शरीर में ऊर्जा, तेज और आत्मबल बढ़ाता है।

सात्विक आहार और संयम
इस दिन हल्का, सात्विक भोजन ग्रहण करें। गुस्सा, आलस्य और नकारात्मकता से दूर रहें।
शास्त्र कहते हैं – “रूपं तपसा लभ्यते, शुद्धभावेन नित्यशः।”
अर्थात — सौंदर्य केवल बाहरी नहीं, बल्कि तप, संयम और सच्चे भाव से आता है।
रूप चौदस का रहस्य – बाहरी नहीं, आंतरिक रूप का पर्व
रूप चौदस हमें यह सिखाता है कि असली सुंदरता आत्मा, आचरण और विचारों की शुद्धता से आती है। जो व्यक्ति ईर्ष्या, क्रोध और लोभ से मुक्त होकर सेवा, भक्ति और संयम का जीवन जीता है, उसका चेहरा सदैव तेजस्वी और जवान दिखाई देता है।
