Edited By Sarita Thapa,Updated: 31 Oct, 2025 06:00 AM

जब एकनाथ की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो कुछ लोग उनकी कीर्ति से जलने भी लगे। एक बार ऐसे ही कुछ दुष्टों ने घोषणा की कि जो एकनाथ को क्रोध दिला देगा, उसे दो स्वर्ण मुद्राएं इनाम में मिलेंगी।
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Sant Eknath Maharaj Story: जब एकनाथ की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो कुछ लोग उनकी कीर्ति से जलने भी लगे। एक बार ऐसे ही कुछ दुष्टों ने घोषणा की कि जो एकनाथ को क्रोध दिला देगा, उसे दो स्वर्ण मुद्राएं इनाम में मिलेंगी। यह घोषणा सुनकर एक मूर्ख और बेरोजगार नौजवान ने उन्हें नाराज करने का बीड़ा उठाया। वह एकनाथ महाराज के घर पहुंचा। उस समय वह पूजा कर रहे थे। वह सीधा पूजा घर में जाकर उनकी गोद में जा बैठा। उसने सोचा कि इस तरह अशुद्ध हो जाने पर एकनाथ को क्रोध जरूर आएगा।

लेकिन उन्होंने हंसकर कहा, ‘‘भैया! तुम्हें देखकर मुझे बड़ा आनंद हुआ। मिलते तो बहुत से लोग हैं, पर तुम्हारा प्रेम तो विलक्षण है।’’
एकनाथ की शांति और बालसुलभ हंसी वह देखता ही रह गया। समझ गया कि इन्हें क्रोध दिलाना बहुत मुश्किल है, मगर दो स्वर्ण मुद्राओं के लोभ से उसने अगले दिन फिर कोशिश की। वह भोजन के वक्त एकनाथ के घर जा पहुंचा। एकनाथ की पत्नी गिरिजा बाई ने उनका आसन भी एकनाथ के ही पास लगा दिया। भोजन परोसा गया। लेकिन घी परोसने के लिए गिरिजा बाई ने ज्यों ही झुककर ब्राह्मण की दाल में घी डालना चाहा, त्यों ही वह लपक कर उनकी पीठ पर चढ़ गया। एकनाथ जी ने कहा, ‘‘देखना, ब्राह्मण कहीं गिर न पड़े।’’

इस पर गिरिजा बाई ने मुस्कराते हुए कहा, ‘‘मुझे बेटा हरि को पीठ पर लादकर काम करने का अभ्यास है, इस बच्चे को कैसे गिरने दूंगी।’’
दोनों पति-पत्नी की ऐसी सहज बातचीत सुनकर तो ब्राह्मण युवक की बची-खुची आशा भी टूट गई। वह एकनाथ दम्पति के चरणों में गिर पड़ा और उनसे अपने कुकृत्यों के लिए क्षमा मांगने लगा।
