Shri Durgiana Mandir: अमृतसर का गौरव, सरोवर के बीचों-बीच स्थित भव्य श्री दुर्ग्याणा मंदिर

Edited By Updated: 01 Jun, 2025 02:00 PM

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Shri Durgiana Mandir:सरोवर के बीचों-बीच स्थित भव्य एवं मनमोहक श्री दुर्ग्याणा मंदिर उत्तर भारत के पंजाब प्रांत के पवित्र शहर अमृतसर में हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण और विश्वप्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। मंदिर का नाम मां दुर्गा जी के नाम पर रखा गया है

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Shri Durgiana Mandir:सरोवर के बीचों-बीच स्थित भव्य एवं मनमोहक श्री दुर्ग्याणा मंदिर उत्तर भारत के पंजाब प्रांत के पवित्र शहर अमृतसर में हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण और विश्वप्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। मंदिर का नाम मां दुर्गा जी के नाम पर रखा गया है क्योंकि प्राचीन काल में जब सैनिकों को युद्ध के लिए जाना होता था, तो वे पहले मां दुर्गा की पूजा करते और जीत का आशीर्वाद लेते थे।

मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ, जबकि लगभग 100 वर्ष पहले इसका विशाल और भव्य स्वरूप तैयार हुआ। इस पुननिर्माण के लिए मंदिर की आधारशिला पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने 1924 में गंगा दशमी (गंगा दशहरा) के दिन रखी थी। मुख्य मंदिर के गुंबदों और दीवारों पर सोने की नक्काशी की गई है। गर्भगृह में भगवान के मनमोहक विगृह (प्रतिमा) विराजमान हैं।

खड़ी स्थिति में श्री लक्ष्मी-नारायण जी और उनके एक तरफ श्री राम दरबार और दूसरी तरफ श्री गिरिराज जी महाराज के साथ श्री राधा-कृष्ण जी के मनमोहक विगृह (प्रतिमा) एक दिव्य रूप प्रस्तुत करते हैं। दर्शनी ड्योढ़ी के मुख्य प्रवेश द्वार पर 12 फुट का विशाल चांदी का नक्काशी वाला दरवाजा लगा है। गर्भगृह के उत्तम चांदी के दरवाजों पर हिंदू देवताओं के अवतारों की आकृतियां उकेरी गई हैं, जो मुख्य मंदिर के सभी दरवाजों के साथ मिलकर मंदिर की पवित्रता को गौरवान्वित करते हैं।

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दुग्र्याणा मंदिर में नवरात्रि में हर दिन हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के दर्शन करना और पूजा-पाठ करना काफी शुभ माना जाता है। यहां के हनुमान मंदिर में नवरात्रों के दिनों में ही भक्तजन मन्नत पूरी होने पर अपने बच्चों को हनुमान जी का स्वरूप (लंगूर) बनाकर माथा टिकवाते हैं जोकि पूरे विश्व में अनोखी परम्परा है। दुग्र्याणा मंदिर को कई लोग लक्ष्मीनारायण मंदिर, दुग्र्याणा तीर्थ के नाम से भी जानते हैं।

अमृतसर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी गहन भागीदारी, वाघा सीमा से निकटता, गोबिंदगढ़ किले की उदारता और कई जटिल रूप से निर्मित पूजा स्थलों के लिए भी जाना जाता है। दशहरा, जन्माष्टमी और दीवाली के दौरान पर्यटक उत्सव का आनंद लेने और मां दुर्गा की पूजा करने के लिए मंदिर आते हैं।
मंदिर के प्रांगण में आप भगवान हनुमान की एक अनोखी मूर्ति देख सकते हैं, जिसमें वे झपकी ले रहे हैं। यह मंदिर हिंदू धर्मग्रंथों के संग्रह के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां एक म्यूजियम भी बनाया गया है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी अपने अश्वमेघ यज्ञ के दौरान यहां पधारे थे। उनके पुत्र लव और कुश ने अपना बचपन माता सीता के साथ महर्षि वाल्मिकी के आश्रम, श्री राम तीर्थ में बिताया, जोकि श्री दुर्ग्याणा मंदिर से लगभग 8 कि.मी. दूर है। हनुमान जी के नेतृत्व में चले अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को लव और कुश ने यहीं बांधा था जिसको छुड़वाने के लिए भगवान को यहां आना पड़ा था।

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दुग्र्याणा मंदिर में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्तियों से सुसज्जित एक सुंदर 541 फुट, 432 फुट और 20 फुट गहरा सरोवर है जो 16वीं शताब्दी में बना था और 2018 में इसकी कारसेवा कर विधिवत पूजन कर निर्मल जल छोड़ा गया। मुख्य मंदिर के आसपास कई छोटे मंदिर मिलेंगे। आप बड़ा हनुमान मंदिर, माता शीतला मंदिर, सत नारायण, काली माता मंदिर और राधा कृष्ण की मूर्तियों के दर्शन कर सकते हैं। दुर्ग्याणा मंदिर, सिर्फ अमृतसर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का केंद्र माना जाता है, इसलिए यहां हर दिन हजारों पर्यटक भी घूमने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों और सैलानियों को खूब आकर्षित करती है।

धनवंत कौर नामक एक विधवा ने अपने जीवन की सारी जमापूंजी से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यहां एक धर्मशाला का निर्माण करवाया, जो 1931 में बन कर तैयार हुई। 2016 में यहां की प्रबंधकीय टीम के बदलने के बाद से अभूतपूर्व सुधार हुए हैं। मुख्य मार्ग पर लोगों की सुविधा के लिए वातानुकूलित कम्युनिटी हॉल, रेलवे स्टेशन के पास यात्री निवास और नई पार्किंग बनाई गई है। दुर्ग्याणा मंदिर काम्प्लैक्स के नवनिर्माण में बनाए दस द्वार हमारी संस्कृति, सभ्यता और महान विरासत के प्रतीक हैं।

सारा दिन लंगर भंडारा चलता है। तीर्थ की प्रबंधकीय टीम की ओर से संस्कृत कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज और नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूल चलाया जा रहा है। इसके अतरिक्त हर माह विधवा बहनों को राशन दिया जाता है। मंदिर रेलवे स्टेशन से मात्र आधा किलोमीटर व बस स्टैंड से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है।  PunjabKesari Shri Durgiana Mandir
 

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