Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Jan, 2023 10:29 AM
‘योग के जनक’ के नाम से विख्यात श्री श्री परमहंस योगानंद जी का जन्म 5 जनवरी, 1893 को गोरखपुर में हुआ
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Shri shri paramhansa yogananda: ‘योग के जनक’ के नाम से विख्यात श्री श्री परमहंस योगानंद जी का जन्म 5 जनवरी, 1893 को गोरखपुर में हुआ और संन्यास से पूर्व उनका पारिवारिक नाम मुकुंद लाल घोष था। युवावस्था में मुकुंद ने उत्साह के साथ अनेक महान संतों से भेंट की। संन्यास के पश्चात उन्हें योगानंद के नाम से जाना जाने लगा। योगानंद का अर्थ है ईश्वर के साथ एकता (योग) के माध्यम से आनंद की प्राप्ति।
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Paramahansa yogananda teachings: योगानंद जी को युवकों के सम्पूर्ण विकास का आदर्श अत्यंत प्रिय था, इसलिए उन्होंने सन् 1917 में दिहिका में सात बच्चों के साथ लड़कों के एक विद्यालय की स्थापना की। एक साल बाद रांची का कासिम बाजार महल शिक्षा के इस उपक्रम का स्थल बना। यही योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.) का प्रारंभ था, जिसका मुख्य उद्देश्य था ‘अपनी ही बृहत् आत्मा (परमात्मा) के रूप में मानव जाति की सेवा करना’। समय के उतार-चढ़ाव से अप्रभावित, गुरु जी द्वारा मार्गदर्शित संस्था सौ से अधिक वर्षों के पश्चात भी देश के लगभग सभी भागों में स्थित अपने आश्रमों और केंद्रों के माध्यम से शक्तिशाली ढंग से कार्य कर रही है।
सन् 1920 में योगानंद जी को अमरीका में आयोजित धार्मिक उदारतावादियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया, जिसके बाद उन्होंने सैल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप (एस.आर. एफ.) की स्थापना की, जिसका मुख्यालय लास एंजल्स अमरीका में स्थित है, जो श्रीमद्भगवतगीता में वर्णित आत्म-प्रयास एवं आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के लिए शक्तिशाली साधन प्रदान करता है।
इसका भावपूर्ण प्रयोग योगानंद जी के एक सच्चे जीवन के आदर्श में प्रतिध्वनित होता है- ‘जीवन के युद्ध क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक परिस्थिति का सामना एक नायक के साहस और एक विजेता की मुस्कान के साथ करें।’
Paramahansa Yogananda last words: उन्होंने अपनी एक पुस्तक ‘सांग्स ऑफ द सोल’ (आत्मा के गीत) में यही संदेश दिया है- ‘‘मैं आऊंगा बार-बार यदि आवश्यकता पड़ी तो अनगिनत बार।’’