ऐसा मंदिर जहां साल में एक बार होते हैं भगवान नरसिंह के दर्शन

Edited By Updated: 12 Mar, 2020 04:04 PM

singhachalam temple of lord narsingh

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का हर अवतार बहुत ही खास रहा है। उनके हर एक अवतार के पीछे कोई न

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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का हर अवतार बहुत ही खास रहा है। उनके हर एक अवतार के पीछे कोई न कोई कारण जरूर रहा है। कहते हैं कि जब-जब धर्म के ऊपर अधर्म भारी पड़ा है, तब-तब भगवान विष्णु ने धरती पर भिन्न-भिन्न रूप में अवतार लेकर अधर्म का विनाश किया है। ऐसे में आज हम बात करेंगे कि उनके नरसिंह अवतार के बारे में, जोकि उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए लिया था। भगवान जहां अपने भक्तों से असीम प्रेम करते हैं, वहीं उनकी रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसके साथ ही बात करते हैं उनके मंदिर के बारे में जोकि बहुत ही पौराणिक हैं और जिनकी मान्यताएं अलग-अलग हैं। 
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आज भी पूरे देश में भगवान नरसिंह के कईं मंदिर स्थापित हैं। जिसके बारे में हम बात करेंगे वे सिंहाचलम मंदिर जोकि विशाखापट्टनम से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिंहाचल पर्वत पर स्थापित है। सिंहाचलम मंदिर को भगवान नरसिंह का घर भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मंदिर में नरसिंह भगवान मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां उनकी प्रतिमा पर चंदन का लेप लगाया जाता है और जोकि साल में एक बार हटाया जाता है यानि कि अक्षय तृतीया के दिन इस चंदन के लेप को हटा दिया जाता है। केवल उसी दिन लेप हटाने के कारण भक्तों को नरसिंह देव की प्रतिमा के दर्शन हो पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भक्त प्रह्लाद ने की थी।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब हिरण्यकश्यप का वध भगवान नरसिंह ने किया था, उसके बाद ही भक्त प्रह्लाद ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बताया जाता है कि समय के साथ वह मंदिर धरती की कोख में समा गया, जिसका पुन:र्निमाण पुरूरवा नामक राजा ने करवाया। इस बात का उल्लेख सिंहाचलम देवस्थान के आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। कहा जाता है कि राजा पुरूरवा ने ही धरती में समाहित हुए भगवान नरसिंह की प्रतिमा को बाहर निकालकर उसे फिर से स्थापित कर चंदन के लेप से ढंक दिया।
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अक्षय तृतीया के दिन यहां बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान से चंदन का लेप हटाया जाता है और भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। बता दें कि सुबह चार बजे से मंदिर में मंगल आरती के साथ दर्शन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस मंदिर में लगभग साल भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। क्यों चंदन के लेप से ढंकी रहती है मूर्ति पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप के वध के वक्त भगवान नरसिंह बहुत क्रोध में थे। हिरण्यकश्यप के वध के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था। जिस कारण उनका पूरा शरीर गुस्से से जलने लगा। तब उन्हें ठंडक पहुंचाने के लिए चंदन का लेप लगाया गया। जिससे उनके गुस्से में कमी आई। तब ही से भगवान नरसिंह की प्रतिमा को चंदन के लेप में ही रखा जाने लगा। केवल एक दिन के लिए अक्षय तृतीया पर यह लेप हटाया जाता है।

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