Sita Charan Temple Bihar: बिहार के इस मंदिर में माता सीता ने किया था पहला छठ, हर वर्ष बाढ़ में डूबता है

Edited By Updated: 26 Sep, 2025 02:01 PM

sita charan temple bihar

Sita Charan Temple Bihar: छठ की पूजा कब और कैसे शुरू हुई यह तो ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि सूर्य षष्ठी व्रत अनादि काल से चला आ रहा है क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति की पूजा किसी न किसी रूप में की जाती है।

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Sita Charan Temple Bihar: छठ की पूजा कब और कैसे शुरू हुई यह तो ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि सूर्य षष्ठी व्रत अनादि काल से चला आ रहा है क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति की पूजा किसी न किसी रूप में की जाती है। मान्यता है कि रामायण काल में माता सीता ने जब सूर्य देव की उपासना की वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि थी। आमतौर पर लोग अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य नहीं देते और न ही ऐसी कोई तस्वीर अपने घर में लगाते हैं लेकिन छठ के दिन अस्त और उदय होते हुए सूर्य की उपासना की जाती है और उन्हें अर्घ्य दे कर व्रत संपन्न किया जाता है।

Sita Charan Temple Jafar Nagar Diara Bihar
Sita Charan Temple Jafar Nagar Diara Bihar: बिहार के सबसे बड़े पर्व छठ को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं, इनमें से एक मान्यता यह भी है कि प्रभु श्री राम की पत्नी माता सीता ने सर्वप्रथम छठ पूजा की थी। जिसके बाद महापर्व की शुरुआत हुई। छठ को बिहार का महापर्व माना जाता है। यह पर्व बिहार के साथ देश के अन्य राज्यों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बिहार के मुंगेर में छठ पर्व का विशेष महत्व है। छठ पर्व से जुड़ी कई अनुश्रुतियां हैं लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सीता ने सर्वप्रथम पहला छठ पूजा बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था। इसके बाद से महापर्व की शुरुआत हुई। इसके प्रमाण-स्वरूप आज भी माता सीता के चरण चिह्न इस स्थान पर मौजूद हैं।  

Sita Charan Temple Jafar Nagar Diara Bihar
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, ऐतिहासिक नगरी मुंगेर में जहां सीता मां के चरण चिह्न है, वहां रह कर उन्होंने 6 दिनों तक छठ पूजा की थी। श्री राम जब 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया। इसके लिए मुद्गल ऋषि को निमंत्रण दिया गया था लेकिन मुद्गल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि की आज्ञा पर भगवान राम एवं सीता स्वयं यहां आए और उन्हें इसकी पूजा के बारे में बताया गया।

Sita Charan Temple Jafar Nagar Diara Bihar
मुद्गल ऋषि ने मां सीता को गंगा जल छिड़क कर पवित्र किया एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। यहीं रह कर माता सीता ने 6 दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने जहां छठ पूजा संपन्न की थी, वहां आज भी उनके पदचिह्न मौजूद हैं। कालांतर में जाफर नगर दियारा क्षेत्र के लोगों ने वहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया है। यह सीता चरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर हर वर्ष गंगा की बाढ़ में डूबता है। महीनों तक सीता के पदचिह्न वाला पत्थर गंगा के पानी में डूबा रहता है।

Sita Charan Temple Jafar Nagar Diara Bihar
इसके बावजूद उनके पदचिह्न धूमिल नहीं पड़े हैं। श्रद्धालुओं की इस मंदिर एवं माता सीता के पदचिह्न पर गहरी आस्था है। ग्रामीण लोगों का कहना है कि दूसरे प्रदेशों से भी लोग पूरे साल यहां मत्था टेकने आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर के पुरोहित के अनुसार सीता चरण मंदिर आने वाला कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता।

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