Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Dec, 2023 08:08 AM
मां बच्चे की हर जरूरत का ध्यान रखती है। वह जानती है कि अब मेरे बच्चे को भूख लगी है, अब यह दूध पीना चाहता है। इस समय इसका पेट ठीक नहीं है।
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मां बच्चे की हर जरूरत का ध्यान रखती है। वह जानती है कि अब मेरे बच्चे को भूख लगी है, अब यह दूध पीना चाहता है। इस समय इसका पेट ठीक नहीं है। मां डाक्टर की तरह अपने बच्चे की नब्ज को पहचानती है। मां के खाने जैसा स्वाद और किसी चीज में नहीं मिलेगा। मां पर कविता तो लिखी जा सकती है पर मां की ममता पर कोई कविता नहीं लिखी जा सकती। —अमिताभ बच्चन
आपने सोच को साध लिया तो खुशी मिल ही जाएगी। हमारी बहुत सारी समस्याएं और चिंताएं हमारी बेकार की सोच के कारण उत्पन्न होती हैं। कोशिश करने का महत्व ही सर्वाधिक है। परिणाम तो देर-सवेर मिल ही जाएगा। अपने-आपको किसी से कम नहीं समझें। —जोसेफ नगुयन
सत्संग में जाकर संत-महापुरुषों के दर्शन होते हैं तो विचार शुद्ध-पवित्र हो जाते हैं। सोच बदल जाती है। मन का अंधेरा मिट जाता है और प्रकाश हो जाता है। विश्वास करने वाले का बेड़ा पार हो जाता है। किसी का बुरा नहीं सोचें। भला करोगे भला होगा। बुजुर्गों की संगत किया करो इनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। —संत सुभाष शास्त्री
घर के बड़े-बुजुर्ग कभी बेकार नहीं बैठते। ये कुछ न कुछ संवारते रहते हैं। अपने पिता जैसा मेहनती, ईमानदार, वफादार तुम्हें पूरी दुनिया में नहीं मिल सकता। यह बिना पगार लिए काम करता है और इतवार की छुट्टी भी नहीं लेता। पिता आपको अपने से भी ऊंची पदवी पर देखना चाहता है। —सेठ बिशनदास पूणा
प्रेम के पुल बनाएं, द्वेष की दीवार नहीं। अगर आप सबके प्रति प्रेम रख सकें, तो सर्वश्रेष्ठ, अन्यथा यह तो हमारा संकल्प हो ही, कि मैं किसी के प्रति द्वेष की दीवार खड़ी नहीं करूंगा। जीवन को सबसे अधिक सुवास और मिठास देने वाला तत्व प्रेम है। धरती पर अगर प्रेम है तो यह धरती स्वर्ग है। धरती पर रहने वाले लोगों ने जब-जब भी प्रेम को अहमियत दी है, प्रेम का मूल्य समझा है, तब-तब प्रेम ने धरती को उसका शृंगार और माधुर्य ही प्रदान किया है। —चंद्रप्रभ