Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jul, 2025 01:58 PM

Smile please: खरबूजे की तरह बनें जो बाहर से और अंदर से भी एक है। संतरे की तरह न बनो जो बाहर से एक लगता है लेकिन अंदर से जुदा-जुदा होता है। आपस में बंट कर नहीं, सब एक बन कर रहो। एकता में बल होता है।
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Smile please: खरबूजे की तरह बनें जो बाहर से और अंदर से भी एक है। संतरे की तरह न बनो जो बाहर से एक लगता है लेकिन अंदर से जुदा-जुदा होता है। आपस में बंट कर नहीं, सब एक बन कर रहो। एकता में बल होता है।
लड़ाई-झगड़ा तब होता है जब गुस्सा आता है। आप अपने दिमाग को ठंडा रखो तो गुस्सा आएगा ही नहीं। कोर्ट में तो वे जाते हैं जिन्होंने चक्कर काटने होते हैं, शांत स्वभाव वाले तो बैठकर उसी वक्त समाधान कर लेते हैं। भाई हमने कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने। समाधान हुआ और मन शांत। -राष्ट्र संत चंद्रप्रभ

आपके शब्द ही रिश्तों वाले ताले की चाबी हैं। शब्दों से आप रिश्ते बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं, यह आप पर निर्भर है। आप टी.वी. का रिमोट कंट्रोल किसी दूसरे को नहीं सौंपते हो तो अपने मन का रिमोट कंट्रोल किसी दूसरे को क्यों सौंपते हो। हम एक-दूसरे को घरों में ही फोन लगाने लग गए हैं। हम संस्कार बदल रहे हैं। फोन न तो खुशी देता है और न ही अटैंशन। -बी.के. शिवानी
चुनौतियों का सामना करने से हमारे अंदर शक्ति आ जाती है। इनसे न घबराएं। ज्ञान ऐसा खजाना है जिसे कोई चुरा नहीं सकता। यह दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहता है और हमारी तिजोरी खाली नहीं रहने देता। —अमिताभ बच्चन

शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में केवल ज्ञान डाले। शिक्षक वह है जो आने वाली चुनौतियों के लिए उन्हें तैयार करे। किताब एकांत में बैठ कर पढ़ने से खुशी होती है। इनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं। ज्ञान हमें शक्ति देता है। जीवन का सबसे बड़ा उपहार ऊंचे सपने देखना है। —डा. राधाकृष्णन
दुखी रहने का कारण : देरी से सोना, देरी से उठना। लेन-देन का हिसाब न रखना। बीते समय को याद करते रहना। अपने आप पर भरोसा न करना। बिना कारण झूठ बोलना। बिना मांगे सलाह देना। हद से ज्यादा क्रोध करना। काम को समय पर न करना। दूसरों से उम्मीद रखना। गलत लोगों की संगत करना। निंदा करना, निंदा सुनना। बड़ों का आदर-सत्कार न करना। —श्री कृष्ण जी
