क्या भगवान कार्तिकेय और स्कंद एक ही हैं, जानने के लिए क्ल्कि करें यहां

Edited By Updated: 09 Dec, 2020 05:02 PM

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आज भी बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय और स्कंद एक ही हैं। बल्कि इन दोनों नामों के अलावा भी इन्हें कई नामों से बुलाया जाता है

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आज भी बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय और स्कंद एक ही हैं। बल्कि इन दोनों नामों के अलावा भी इन्हें कई नामों से बुलाया जाता है, जैसे सुब्रमण्यम, मुरुगन आदि। सनातन धर्म के शास्त्रो में सनातन धर्म के प्रत्येक देवी-देवता से जुड़ी कथा आदि का वर्णन मिलता है। भगवान शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय जी के बारे में अच्छे से उल्लेख किया गया है।
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तो आइए आपको बताते हैं इनके जन्म की गाथा, जिससे ये बात भी सपूंर्ण रूप से स्पष्ट हो जाएगी कि कार्तिकेय और स्कंद एक ही हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मात सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव के अपमान को सहने न करने पर यज्ञ की अग्नि में भस्म हो गई थी, तो इसके बाद शिव जी विलाप करते हुए कई वर्षों की गहरी तपस्या में लीन हो गए था।

जिस कारण संपूर्ण सृष्टि शक्तिहीन हो गई। जिसका फायदा दैत्यों ने उठाया। धरती पर हर तरफ़ तारकासुर नामक दैत्य का आतंक फैल गया।
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तारकासुर के अत्यचारों से देवता परेशान हो गए, और लगातार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। हर तरफ इतना हाहाकार देखकर सभी देवता ब्रह्मा जी के पास प्रार्थना पर गए। जिसके बाद ब्रहमाजी ने देवताओं को बताया कि तारक का अंत शिव पुत्र के हाथों की होगा। इतना सुनते ही इंद्र देव के साथ-साथ अन्य सभी देवता भगवान शंकर ‘पार्वती’ के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं, और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे विवाह करते हैं जिसके बाद भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है।

तारकासुर का वध करके भगवान कार्तिकेय देवों को उनका स्थान प्रदान करवाते हैं। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था, यही कारण है कि इस दिन इनकी पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार भगवान कार्तिकेय जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है, प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। इसलिए इन्हें पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर भी संबोधन किया जाता है।  
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कार्तिकेय की पूजा
बताया जाता है इनकी पूजा-अर्चना मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है। तो वहीं अरब में यजीदी जाति के लोग भी इन्हें पूजते हैं, वहां के लोगों के ये प्रमुख देवता माने जाते हैं। इसके अलावा उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षे‍त्र विशेष में ही इन्होंने स्कंद नाम से शासन किया था। सनातन धर्म का प्रसिद्ध ग्रंथ इनके स्कंद इन्हीं के नाम से है। अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें 'कुमार कार्तिकेय' के नाम से भी जाना जाता है।
 

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