Edited By Sarita Thapa,Updated: 10 Nov, 2025 01:26 PM

स्वामी रामतीर्थ ने अमरीकी यात्रा के दौरान नई गिरजाघरों सहित जाने-माने विश्वविद्यालयों में प्रवचन दिए। उनके विचार लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। एक दिन उनसे मिलने एक महिला आई, जिसे शान्ति और सुख की तलाश थी।
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Swami Ramtirtha story: स्वामी रामतीर्थ ने अमरीकी यात्रा के दौरान नई गिरजाघरों सहित जाने-माने विश्वविद्यालयों में प्रवचन दिए। उनके विचार लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। एक दिन उनसे मिलने एक महिला आई, जिसे शान्ति और सुख की तलाश थी। वह बहुत दुखी थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसके बेटे की मृत्यु हो गई थी।
महिला ने स्वामी जी से कहा, ‘मैं बहुत दुखी हूं और किसी भी कीमत पर सुख पाना चाहती हूं।’ इस पर स्वामी रामतीर्थ ने कहा, ‘प्रसन्नता और शान्ति पैसों से खरीदी जाने वाली वस्तुएं नहीं हैं। फिर भी, यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हें इसका मार्ग बता सकता हूं।’ स्वामी जी ने उस श्वेत महिला को सलाह दी कि किसी नीग्रो बच्चे को गोद ले और उसे अपने बच्चे की तरह पाले, तो उसे शान्ति मिल सकती है। यह सुनकर महिला दुखी हृदय से बोली कि यह मुझसे हो पाना मुश्किल है। दरअसल, श्वेत महिला के लिए किसी अश्वेत बच्चे को अपनाना तत्कालीन अमरीकी समाज में काफी चुनौतीपूर्ण था।

स्वामी जी ने कहा कि यदि तुम ऐसा नहीं कर सकती हो, तो शांति की आशा छोड़ दो। आखिरकार महिला ने सोचा कि स्वामी जी की सलाह मान ही लेती हूं। उसने एक नीग्रो बच्चे को गोद ले लिया। सचमुच में कुछ दिन बाद महिला ने महसूस किया कि स्वामी जी की राय एकदम सही थी। गोद लिए हुए नीग्रो बच्चे से उसके हृदय में ऐसी ममता उमड़ी कि वह प्रसन्न रहने लगी। स्वामी जी ने श्वेत और अश्वेत के भेद से रहित जो ममतामयी मंत्र शक्ति उस महिला को दी, वह बेहद चमत्कारी साबित हुई। उससे महिला को बहुत मानसिक शान्ति प्राप्त हुई।
