Edited By Sarita Thapa,Updated: 03 Oct, 2025 06:01 AM

स्वामी विवेकानंद से एक दुखी व्यक्ति ने पूछा, “मैं खूब मेहनत करता हूं लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाया।” स्वामी जी ने पल भर में उसकी परेशानी को समझ लिया।
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Swami Vivekananda Motivation Story: स्वामी विवेकानंद से एक दुखी व्यक्ति ने पूछा, “मैं खूब मेहनत करता हूं लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाया।” स्वामी जी ने पल भर में उसकी परेशानी को समझ लिया। उन्होंने अपना पालतू कुत्ता उस व्यक्ति को सौंपा और कहा, “तुम कुछ देर मेरे इस कुत्ते को सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूंगा।”

काफी देर तक वह व्यक्ति कुत्ते को सैर कराता रहा। बाद में जब वह कुत्ते को लेकर स्वामी जी के पास लौटा तो उसके चेहरे पर थकान का कोई निशान नहीं था, लगता नहीं था कि वह मेहनत करके आया है, मगर कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा था और थका हुआ लग रहा था।
स्वामी जी ने उस व्यक्ति से पूछा, “यह कुत्ता इतना हांफ क्यों रहा है? यह थका हुआ लग रहा है, जबकि तुम पहले की तरह ही तरो-ताजा दिख रहे हो।”

उस व्यक्ति ने जवाब दिया, “स्वामी जी! मैं तो सीधा-सीधा अपने रास्ते पर चल रहा था, पर यह कुत्ता तो दौड़ता ही रहा। यह गली के सभी कुत्तों के पीछे भागता और उनसे लड़कर फिर मेरे पास वापस आ जाता। हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया पर इसने मेरे से कहीं ज्यादा दौड़ लगाई, इसलिए यह ज्यादा थक गया है।”
स्वामी जी मुस्कुराए और कहा, “यही तुम्हारे प्रश्न का जवाब है। तुम मंजिल पर सीधे जाने के बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो, उसमें तुम्हारी काफी ऊर्जा लगती है। रास्ता उतना ही तय होता है पर तुम बुरी तरह थक जाते हो।” स्वामी जी की बात सुन उस आदमी की आंखें खुल गईं।
