Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jul, 2025 07:00 AM

Vidur Niti: भारतीय इतिहास और धर्मशास्त्र में विदुर नीति का विशेष स्थान है। महाभारत के महान पात्र विदुर केवल एक नीतिकार ही नहीं, बल्कि गहन जीवनदृष्टि रखने वाले मार्गदर्शक भी थे। उनके द्वारा बताए गए सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि उस काल...
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Vidur Niti: भारतीय इतिहास और धर्मशास्त्र में विदुर नीति का विशेष स्थान है। महाभारत के महान पात्र विदुर केवल एक नीतिकार ही नहीं, बल्कि गहन जीवनदृष्टि रखने वाले मार्गदर्शक भी थे। उनके द्वारा बताए गए सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि उस काल में थे। उन्होंने राजा धृतराष्ट्र को जीवन, राजनीति, धर्म, और समाज के विविध पहलुओं पर ज्ञान दिया, जिसे आज विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। विदुर नीति में विदुर ने जीवन के 6 सबसे बड़े सुखों की चर्चा की है, जो हर कोई पाना चाहता है, लेकिन हर किसी को नहीं मिलते। आइए विस्तार से जानते हैं इन छह सुखों के बारे में और ये भी समझते हैं कि इन्हें पाने के लिए हमें अपने जीवन में क्या बदलना चाहिए।
स्वस्थ शरीर
विदुर के अनुसार, सबसे पहला और सबसे बड़ा सुख स्वास्थ्य है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं है तो कोई भी भौतिक सुख, पैसा या पद काम का नहीं। एक रोगी व्यक्ति सबसे पहले स्वस्थ होना चाहता है, बाकी सारी इच्छाएं गौण हो जाती हैं। इसलिए, जीवन का पहला उद्देश्य होना चाहिए शरीर और मन की देखभाल।

धन
दूसरा सुख है पर्याप्त धन। धन जरूरी है क्योंकि इससे जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी होती हैं आवास, भोजन, वस्त्र, शिक्षा और इलाज। हालांकि विदुर यह भी संकेत करते हैं कि धन का लोभ विनाशकारी होता है।
सुंदर और सद्गुणी जीवनसाथी
विदुर के अनुसार, तीसरा बड़ा सुख है एक सुशील और समझदार जीवनसाथी। यदि जीवनसाथी सहयोगी, समझदार और नैतिक मूल्यों वाला हो, तो जीवन की कठिनाइयां भी आसान लगने लगती हैं।
ज्ञानी संतान
चौथा सुख है ज्ञानी, चरित्रवान और संस्कारी संतान। माता-पिता के लिए इससे बड़ा सुख कोई नहीं कि उनकी संतान सद्गुणों से युक्त हो, उनका नाम रोशन करे और समाज में आदर पाए।

सच्चे मित्र
पांचवां सुख है विश्वसनीय और सच्चे मित्र। मित्र वह होता है जो सुख-दुख में साथ दे, बिना स्वार्थ के आपकी चिंता करे। ऐसे मित्रों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनका मूल्य अनमोल होता है।
अर्जित ज्ञान
छठा और अंतिम सुख है ज्ञान। विदुर मानते हैं कि विद्या ही जीवन को दिशा देती है। ज्ञान ही मनुष्य को पशुता से मनुष्यता की ओर ले जाता है। यह जीवन में विवेक, निर्णय शक्ति और सही-गलत की समझ विकसित करता है।
