Edited By Sarita Thapa,Updated: 25 May, 2025 02:45 PM

Yamraj Temple Himachal Pradesh: पौराणिक ग्रंथों में इस सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु को बताया गया है। जगत पिता और सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले भगवान विष्णु को तो हर कोई याद करता है।
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Yamraj Temple Himachal Pradesh: पौराणिक ग्रंथों में इस सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु को बताया गया है। जगत पिता और सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले भगवान विष्णु को तो हर कोई याद करता है और उनकी पूजा-पाठ करता है लेकिन क्या कभी आप में से किसी ने उनको याद किया है, जो हमें मोह-माया के इस जाल से मुक्त करता है। यमराज की जो हमारे पाप-पुण्य का फैसला सुनातो है और दुनिया रूपी बंधन से हम सबको मुक्त करवाते है। हिंदू धर्म में दंड के तीन देवता हैं यमराज, शनिदेव और भैरव। मार्कण्डेय पुराण में यमराज को दक्षिण दिशा के दिक्पाल और मृत्यु का देवता कहा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज के मुंशी चित्रगुप्त हैं, जिनके माध्यम से वे सभी प्राणियों के कर्मों और पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते है। आपने दुनिया में ऐसे तो बहुत सारे मंदिर देखें होगे जहां भगवान के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है लेकिन यह वो मंदिर है, जहां यमराज विराजमान है। ये ऐसा स्थान हैं जहां इंसान को मृत्यु के बाद ले जाया जाता है, इस स्थान चित्रगुप्त द्वारा हर जीव के कर्मों का हिसाब दिया जाता है। जिसके बाद यमराज जीव द्वारा किए गए कर्मों के हिसाब से उसका फैसला करता हैतो आइए जानते हैं यमराज के इस मंदिर के बारे में-
ये मंदिर भरमौर में यम मंदिर के नाम से जाना जाता है। यमराज का ये मंदिर हिमाचल प्रदेश में चम्बा के भरमौर नामक स्थान पर स्थित है। कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को यहां दीये जलाकर यमराज को प्रसन्न किया जाता है। देखने में ये एक घर जैसा दिखाई देता है। इस मंदिर में यमराज के साथ साथ चित्रगुप्त भी विराजमान हैं। कहा जाता है जब इंसान की मौत हो जाती है तो यमदूत उसकी आत्मा को इसी मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त जीव के अच्छे और बुरे कामों का हिसाब करते हैं। फिर आत्मा को चित्रगुप्त के सामने वाले कक्ष में यमराज के पास लेकर जाया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है। इस कक्ष में यमराज उस इंसान की आत्मा के कर्मों के अनुसार फैसला करता है।

माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर ही चार और द्वार है जो कि गुप्त है। ये द्वार सोना, चांदी, तांबे और लौहे के बने हुए हैं। आत्मा के कर्म अनुसार ही उसे इन द्वारों से पार करवाते हुए स्वर्ग और नरक ले जाया जाता है। आपको बता दें कि गरुड़ पुराणों में भी यमराज के इन चार द्वारों का उल्लेख किया गया है।
