Updated: 16 Oct, 2025 05:11 PM

यहां पढ़ें कैसी है फिल्म इंडिया प्राइड: इमली
फिल्म: इंडिया प्राइड इमली
निर्देशक: स्वतंत्र गोयल
कलाकार: प्रसन्ना बिष्ट (इमली), विक्रम कोचर (कोच अय्यर)
रेटिंग: 3*
इंडिया प्राइड इमली: कुछ फिल्में दिल पर शोर मचाकर असर छोड़ती हैं, और कुछ चुपचाप आत्मा को छू जाती हैं। इंडिया प्राइड: इमली दूसरी श्रेणी की फिल्म है। न हाई-टेक वीएफएक्स, न बड़ी स्टारकास्ट का दम बस एक सच्ची, दिल से कही गई कहानी जो प्रेरणा भी देती है और सोचने पर भी मजबूर करती है। स्वतंत्र गोयल की यह फिल्म दिखाती है कि कैसे एक आदिवासी लड़की, संसाधनों की कमी के बावजूद, सिर्फ अपने हुनर और हिम्मत के बल पर देश की शान बनती है। इसमें भले ही परफेक्ट स्क्रिप्टिंग न हो, लेकिन इरादा बेहद नेक और असरदार है।
कहानी
फिल्म की कहानी महाराष्ट्र के एक छोटे से आदिवासी गाँव की लड़की इमली के इर्द-गिर्द घूमती है। उसके पास तीरंदाजी का प्राकृतिक हुनर है, जिसे एक सरकारी खेल अधिकारी पहचानता है। इसके बाद कोच अय्यर (विक्रम कोचर) की ट्रेनिंग में इमली खेल की प्रोफेशनल दुनिया में कदम रखती है।
इमली नेशनल चैंपियन बनती है और 2028 ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई करती है। लेकिन जब एक पत्रकार उसके अतीत के बारे में सवाल करता है, तो कहानी फ्लैशबैक में जाती है, जहाँ से खुलते हैं उसके संघर्ष, उसका पहला प्यार अजय, और जातीय भेदभाव की सच्चाइयाँ।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
फिल्म के लेखक, निर्देशक और निर्माता स्वतंत्र गोयल का काम जुनून से भरा हुआ है। वे कहानी को सादगी और ईमानदारी के साथ पेश करते हैं। पहला हाफ धीमा है, कुछ दृश्यों को टाइट एडिट किया जा सकता था। दूसरा हिस्सा अधिक भावनात्मक और प्रभावी बन पड़ा है। बैकग्राउंड स्कोर कहानी से मेल खाता है और भावनाओं को उभारता है। सिनेमैटोग्राफी बेहद प्रामाणिक है — गाँव, खेत, पगडंडियाँ, और तीरंदाजी के दृश्य वास्तविक लगते हैं। केवल तीन गाने हैं, लेकिन वे कहानी से जुड़े हुए हैं और ज़रूरत से ज़्यादा नहीं लगते।
अभिनय
प्रसन्ना बिष्ट ने इमली के किरदार में दमदार काम किया है। उनका मासूम चेहरा, मराठी लहजा और आंखों में भाव सजीव लगते हैं। डायलॉग साधारण हैं, लेकिन उन्होंने अपनी आंखों और हावभाव से बहुत कुछ कह दिया। विक्रम कोचर एक सख्त लेकिन संवेदनशील कोच के रोल में हैं और दर्शकों से जुड़ते हैं। इमली के साथ उनका रिश्ता फिल्म का इमोशनल हाई पॉइंट है। सहायक कलाकारों का योगदान सीमित है, लेकिन वे कहानी में फिट बैठते हैं।