Updated: 16 Jul, 2025 05:25 PM
फिल्म मर्डरबाद के बारे में स्टारकास्ट और निरर्देशक ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। क्राइम, इमोशन और रहस्य की जबरदस्त झलक दिखाती फिल्म 'मर्डरबाद' 18 जुलाई 2025 को बड़े पर्दे पर दस्तक देने वाली है। यह कहानी सिर्फ एक रोमांटिक सफर नहीं, बल्कि उसके पीछे छुपे अपराध और रहस्यों की भी कहानी है। इस फिल्म को लिखने, निर्देशित करने और प्रोड्यूस करने का जिम्मा अर्नब चटर्जी ने संभाला है। फिल्म में नकुल रोशन सहदेव, कनिका कपूर, शारिब हाशमी, मनीष चौधरी और सलोनी बत्रा मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म के बारे में स्टारकास्ट और निर्देशक ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
अर्नब चटर्जी
सवाल: मर्डरबाद की स्क्रिप्ट लिखने से लेकर शूट के दिन तक पूरी प्रकिया में कितना समय लगा?
जवाब: इस पूरी प्रकिया में चार साल लगे। मैंने ये स्क्रिप्ट 2020 में लिखी थी और 2024 में शूट किया। पिछले साल, आज ही के दिन हम राजस्थान में शूट कर रहे थे। राजस्थान में अलग-अलग जगहों पर हमने शूट किया बहुत सुंदर जगह है।
सवाल: ट्रेलर देखकर कुछ लोगों का कहना है कि पूरी कहानी पता चल गई, उस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: मैं तो कहूंगा कि उन लोगों को टिकट भेजता हूं जाकर देखो। कहानी वहां से शुरू होती है जहां ट्रेलर खत्म होता है।
सवाल: आप लोगों का शूटिंग शेड्यूल कैसा था?
जवाब: हमारा शेड्यूल काफी compact था। लेकिन ऐसा लगा नहीं कि कम दिनों में शूट हुआ है, क्योंकि दिन-रात हम काम कर रहे थे। उसके लिए काफी प्लानिंग लगी। हमने हर चीज के लिए काफी डिटेल में प्लानिंग की थी। इसलिए हमने अपनी शूटिंग जल्दी पूरी कर ली।
सवाल: जब आप कास्टिंग कर रहे थे, सबसे पहले किसका सपोर्ट मिला?
जवाब: सबका सपोर्ट मिला। शारिब पहले एक्टर थे जिन्होंने स्क्रिप्ट सुनते ही हां कहा। बड़े एक्टर्स से काम कराना आसान नहीं होता। शारिब ने सीधा मुझसे बात की, फीडबैक दिया और कहा कि हम फिल्म की बात पहले करेंगे फिर बाकी टीम देखेगी। उनका professionalism बहुत प्रेरणादायक था।
शारिब हाशमी
सवाल: आपके लिए इस किरदार को करना आसान रहा या चुनौती पूर्ण?
जवाब: इस किरदार के लिए हमने तैयारी की है सबसे के साथ मैंने रीडिंग्स की। ऐसा तो नहीं था कि बहुत कठिन था लेकिन मैं इस किरदार के लिए अपनी तरफ से जितनी मेहनत कर सकता था मैंने कि और जितनी इसके लिए जरुरत थी बाकि जो निर्देशक हैं उन्होंने काफी कुछ समझाया। मुझे मकसूद का किरदार निभाने में बहुत मजा आया। मेरी स्टाइलिंग भी बहुत अच्छी है
सवाल: आप मुंबई से ही हैं ऐसे में बाहर से आने वालों की तुलना में आपको कितनी सहजता महसूस होती है?
जवाब: मैं मुंबई में ही पला-बढ़ा हूं, लेकिन जो लोग बाहर से आते हैं, उनके अंदर अलग ही भूख होती है। कभी-कभी लगता है कि काश मैं भी किसी और शहर से आता तो वो जूनन कुछ और ही होता। बाकि चीजें मेरे लिए बाहर से आने वालों की तुलना में थोड़ी आसान और सहज हैं।
सवाल: आप किसी स्क्रिप्ट को पढ़ते समय क्या देखते हैं?
जवाब: मैं स्क्रिप्ट दर्शकों की तरह पढ़ता हूं। कहानी मजेदार लगती है या नहीं यही देखता हूं। अगर किरदार हटाने पर भी कहानी चले, तो किरदार उतना प्रभावशाली नहीं है। निर्देशक भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
नकुल रोशन
सवाल: मुंबई जैसे शहर में बाहरी लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या होती है?
जवाब: जब सब ठीक चल रहा होता है, तब ठीक है। लेकिन जब दो हफ्ते, दो महीने तक कुछ नहीं होता, तो लगता है कि शायद मैं इस शहर में फिट नहीं बैठ रहा हूं। बहुत बड़ा conflict रहता है क्या मैं सही कर रहा हूं? हर दिन जब उठते हैं तो वही internal सवाल होता है आज का दिन कैसा जाएगा? इन सवालों के साथ लगातार रहना सबसे कठिन होता है।
सवाल: मुंबई में नए कलाकारों को बहुत सलाह मिलती हैं। आपको भी लोगों ने कुछ बताया?
जवाब: मैं वही बता सकता हूं जो मेरे लिए काम किया है। ज़रूरी नहीं कि वो universally सही हो। जब आप नए होते हो, तो सलाह बहुत मिलती है, लेकिन केयर और सही निर्देश बहुत कम मिलते हैं। राय और निर्देशों में बहुत फर्क होता है। जब तक सिर्फ राय मिल रही है, मत सुनो। हर कोई कुछ ना कुछ कहेगा, और आप अपना खो बैठोगे। इसके बजाय, आपको खुद क्लीयर रहो चाहे वो सही हो या गलत, फैसला आपका होना चाहिए।
सवाल: आप फिल्म स्कूल गए थे, वहां क्या फर्क महसूस हुआ?
जवाब: मैं उदयपुर से हूं। पहले सिर्फ एक्शन फिल्में देखता था। फिल्म स्कूल में जाकर मंटो जैसे लेखकों को जाना। एक्टिंग और कहानी के प्रति नजरिया वहीं से बदला।
कनिका कपूर
सवाल: आप जब मुंबई आईं तो शुरुआती अनुभव कैसा रहा?
जवाब: पहला यही था कि मुझे क्यों यह रोल करना है? मुंबई शिफ्ट होने का फैसला भी एक भरोसे के साथ किया था। दिल्ली में थिएटर किया था, फिर सोचा अब एक्टर बनना है। शुरुआत में बहुत लोग नकारात्मक बातें करते हैं जैसे बिना कॉन्टेक्ट के नहीं होगा जान पहचान जरुरी है। ऐसे में अपना आत्मविश्वास गिरने लगता है। मैंने सीखा कि ऐसे लोगों से थोड़ा दूर रहो और खुद पर भरोसा रखो।
सवाल: किसी प्रोजेक्ट में प्रोड्यूसर और बाकी फैक्टर्स कितने जरूरी होते हैं?
जवाब: बहुत जरूरी होते हैं। प्रोड्यूसर को भरोसेमंद होना चाहिए क्योंकि वह फिल्म को सही तरीके से रिलीज करवा सकता है। कई बार अच्छी फिल्में बनकर रह जाती हैं क्योंकि उन्हें सही प्लेटफार्म नहीं मिलता है।