ताइवान का साथ देने पर लिथुआनिया से चिढ़ा चीन, धमकियों के बाद अब आयात रोकने की कोशिश

Edited By Updated: 10 Jan, 2022 06:45 PM

china targets lithuania over taiwan hits global supply chains

दुनिया पर कब्जे का सपना पूरा करने के लिए चीन गुंडागर्दी पर उतर आया है। लिथुआनिया द्वारा ताइवान को प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की अनुमति के ...

बीजिंगः दुनिया पर कब्जे का सपना  पूरा करने के लिए चीन गुंडागर्दी पर उतर आया है।  लिथुआनिया द्वारा  ताइवान को  प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की अनुमति के बाद चीन भड़क गया है । इसी बात का बदला लेने के लिए चीन लिथुआनिया को लगातार परेशान कर रहा है और यहां से होने वाले आयात को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। उसकी इसी कूटनीति ने वैश्विक सप्लाई चेन को लक्षित करना शुरू कर दिया है। इससे पहले जब ऑस्ट्रेलिया  ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग की थी, तो चीन ने यहां से शराब का आयात रोक दिया गया था ।

 

चीनी सरकार से असंतुष्ट व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद नॉर्वे से सैल्मन के आयात पर रोक लगा दी थी।  लिथुआनिया पर आयात प्रतिबंध लगाकार चीन, यूरोपीय संघ (ईयू) के बाकी देशों को ये संकेत देने की कोशिश कर रहा है कि वह उसपर कभी सवाल ना उठाएं। माना जाना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन में छोटे से देश को सजा देने के लिए चीन वैश्विक सप्लाई चेन को भी लक्षित कर सकता है। हालांकि चीनी प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया है।

 

जर्मनी और फ्रांस के चीन के साथ अच्छे आर्थिक संबंध हैं। इसी वजह से यूरोपीय संघ की मानवाधिकारों पर बीजिंग के खिलाफ किसी भी राजनयिक कार्रवाई को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।  चीन आर्थिक तौर पर देशों को अपनेआप पर किस तरह निर्भर बना रहा है, इसका एक बड़ा उदाहरण जर्मनी में ही देखने को मिलता है।  जर्मनी में कंपनियों के CEO अपनी सरकार से चीन के साथ टकराव वाली विदेश नीति से दूर रहने को कह रहे हैं। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस ने उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम पारित किया है, जो शिंजियांग क्षेत्र में जबरन श्रम करके बनाए गए सामान के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाता है।

 

चीन को लिथुआनिया का कुल निर्यात 2020 में केवल 350 मिलियन अमेरिकी डालर था, जिसमें व्यापार संतुलन बीजिंग के पक्ष में था, लेकिन शी जिनपिंग सरकार ने लिथुआनियाई को निशाना बनाने के लिए वैश्विक सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रतिबंधों का विस्तार कर दिया है। लिथुआनिया, ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे जैसे देशों के साथ चीन ने जो कुछ भी किया है, वो दिखाता है कि चीन अपनी बुराई नहीं सुन सकता। साल 1959 में 14वें दलाई लामा को धर्मशाला में शरण दिए जाने के बाद सबसे पहले भारत को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। चीनी नेता माओत्से तुंग ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 1962 के युद्ध की शुरुआत कर दी थी. तब से चीन के साथ भारत का सीमा विवाद कभी नहीं सुलझ सका है।

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