Edited By Tanuja,Updated: 07 Oct, 2025 02:25 PM

2023 की रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की लहरों में लगभग 1 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से आधी मौतें मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण हुईं। ऑस्ट्रेलियाई शोध के अनुसार, कोयला, तेल और गैस के जलाने से निकलने वाले ग्रीनहाउस गैसें तापमान बढ़ाकर स्वास्थ्य और जीवन पर...
International Desk: ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम के अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है कि इंसान ने अपने ही हाथों से खुद को खतरे में डाल लिया है। 2023 की असामान्य और घातक गर्मी की लहरों में दुनिया भर में लगभग 1 लाख लोगों की मौत हुई, और इनमें से आधी मौतें सीधे मानवजनित जलवायु परिवर्तन की वजह से हुईं। अध्ययन ने साफ किया कि हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां जैसे कोयला, तेल और गैस का इस्तेमाल पृथ्वी की गर्मी को बढ़ाकर स्वास्थ्य और जीवन पर घातक प्रभाव डाल रही हैं। 2023 में दुनिया भर में असामान्य और रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की लहरों के कारण लगभग 1,78,486 अतिरिक्त मौतें हुईं, जिनमें से करीब 97,000 या आधी मौतें मानवजनित जलवायु परिवर्तन से जुड़ी थीं।
अध्ययन में 67 देशों और क्षेत्रों के 2,013 स्थानों का डेटा शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि दक्षिणी यूरोप में मौत दर सबसे अधिक थी, जबकि उत्तरी गोलार्ध के उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में हृदय और फेफड़ों की पुरानी बीमारियों के कारण मौतें अधिक हुईं। अध्ययन ने चेताया है कि बढ़ते वैश्विक तापमान के चलते स्वास्थ्य के लिए तुरंत अनुकूलन और जलवायु नियंत्रण उपाय जरूरी हैं। ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय जलवायु जोखिम आकलन (NCRA) के अनुसार, यदि तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ता है, तो 2050 तक 1.5 मिलियन और 2090 तक 3 मिलियन से अधिक तटीय घर जोखिम में होंगे। जलवायु परिवर्तन मुख्यतः मानव गतिविधियों जैसे कोयला, तेल और गैस जलाने से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों (CO₂ और मीथेन) के कारण हो रहा है, जो पृथ्वी की सतह पर गर्मी को फंसाकर तापमान बढ़ाते हैं।