जिंदा बुजुर्ग महिला को मुर्दा बताकर रखा फ्रीजर में, अस्पताल की एक गलती बनी मौत की वजह

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 05:37 PM

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कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में एक अस्पताल की गंभीर लापरवाही में 80 वर्षीय मारिया डी जीसस अरोयो को कथित मृत घोषित कर मुर्दाघर के फ्रीजर में रखा गया। परिवार का दावा है कि वह जीवित थीं और बाहर निकलने की कोशिश में ठंड और चोटों से उनकी मौत हुई। मामला...

इंटरनेशनल डेस्क : लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में एक अस्पताल की भयावह लापरवाही सामने आई है, जहां एक महिला को कथित रूप से मृत घोषित कर मुर्दाघर के फ्रीजर में रख दिया गया। घटना की शिकार महिला मारिया डी जीसस अरोयो थीं। परिवार का दावा है कि उन्हें जीवित रहते फ्रीजर में बंद किया गया था, और बाद में जमा देने वाली अत्यधिक ठंड के कारण उनकी मौत हो गई।

घटना की पूरी कहानी
मारिया डी जीसस अरोयो 26 जुलाई 2010 को अपने घर बॉयल हाइट्स में हृदयाघात के कारण बेहोश हो गई थीं। उनके परिवार के अनुसार, तत्काल उन्हें व्हाइट मेमोरियल मेडिकल सेंटर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। चिकित्सकों द्वारा मृत्यु घोषित किए जाने के बाद महिला का शरीर अस्पताल के रेफ्रिजरेटेड मुर्दाघर में रखा गया।

कुछ दिन बाद जब अंतिम संस्कार के लिए शव लेने गए तो कर्मचारियों ने पाया कि बॉडी बैग आधा खुला था और महिला अंदर मुंह के बल पड़ी हुई थीं। उन्हें गंभीर चोटें आई हुई थीं और उनका चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त था। इस भयावह स्थिति ने अस्पताल की लापरवाही और मानव जीवन के प्रति अनदेखी को उजागर कर दिया।

परिवार का दावा
परिवार का कहना है कि मारिया को जीवित रहते ही फ्रीजर में रखा गया था। परिवार द्वारा नियुक्त रोगविज्ञानी डॉ. विलियम मैनियन ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि महिला फ्रीजर में होश में थीं और बाहर निकलने का प्रयास कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें चोटें लगीं और ठंड के कारण उनकी मृत्यु हुई। पैथोलॉजिस्ट ने भी कानूनी दस्तावेजों में कहा कि महिला को जिंदा रखा गया था, और जब वह जागी और बाहर निकलने की कोशिश कर रही थीं, तब उनका चेहरा और शरीर क्षतिग्रस्त हो गया।

अंतिम संस्कार के समय खुला राज
कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, मारिया का शव अस्पताल के रेफ्रिजरेटेड मुर्दाघर में रखा गया था। हालांकि, जब अंतिम संस्कार गृह के कर्मचारी कुछ दिन बाद बैग लेने गए, तो पाया कि बॉडी बैग आधा खुला है और महिला अंदर औंधे मुंह पड़ी हुई थीं। उनकी टूटी हुई स्थिति और क्षतिग्रस्त चेहरा यह बताता है कि महिला फ्रीजर में जागी थीं और बाहर निकलने की कोशिश कर रही थीं।

2012 में खारिज हुआ मामला
परिवार ने सबसे पहले जनवरी 2011 में अस्पताल की लापरवाही का दावा दायर किया था। 2012 में डॉ. मैनियन की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, उन्होंने चिकित्सा कदाचार और गलत तरीके से हुई मौत के आधार पर एक अतिरिक्त मुकदमा दायर किया। निचली अदालत ने इसे कानून की सीमाओं के आधार पर खारिज कर दिया था।

अब कैलिफोर्निया के द्वितीय जिला अपील न्यायालय में केस को फिर से खोल दिया गया है। अदालत ने कहा कि वादी के पास यह संदेह करने का पूरा अधिकार था कि महिला को मृत घोषित कर फ्रीजर में रखा गया था, जबकि वह वास्तव में जीवित थीं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि परिवार यह दावा पहले क्यों नहीं कर सका, इसका कारण प्रक्रियात्मक और कानूनी जटिलताएं थीं।

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