Edited By Archna Sethi,Updated: 31 Aug, 2025 11:00 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तिआनजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। सम्मेलन से पहले उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात सात साल बाद चीन दौरे और दस महीनों में दूसरी बार...
इंटरनेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय चीन के तिआनजिन शहर में हैं, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं। SCO सम्मेलन से पहले पीएम मोदी का कूटनीतिक वार्मअप शुरू हो गया है और उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से खास बातचीत की है। यह मोदी की सात साल बाद चीन की पहली यात्रा है, जिसमें दोनों देशों के बीच रिश्तों में नरमी आई है। इससे पहले वह साल 2018 में चीन गए थे। इस बार वह 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तिआनजिन में होने वाले SCO सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच कुछ सकारात्मक संकेत भी मिले हैं। दोनों देश व्यापार, सीमा विवाद और क्षेत्रीय शांति को लेकर बातचीत के जरिए समाधान निकालने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी और शी जिनपिंग की यह मुलाकात भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
दूसरी बार आमने-सामने हुए मोदी और जिनपिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस साल यह दूसरी मुलाकात है। इससे पहले दोनों नेता रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स 2024 सम्मेलन के दौरान मिले थे। शनिवार को तिआनजिन में स्थानीय समय के अनुसार दोपहर 12 बजे और भारतीय समय के अनुसार सुबह 9:30 बजे दोनों नेताओं के बीच बातचीत शुरू हुई।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, “तिआनजिन, चीन पहुंच गया हूं। SCO शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न विश्व नेताओं से मिलने का इंतजार है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत, सम्मान और विश्वास के आधार पर अपने पड़ोसी देशों से रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका और भारत के रिश्तों में हालिया तनाव
भारत और चीन की इस महत्वपूर्ण बैठक के समय अमेरिका और भारत के रिश्तों में भी टैरिफ के कारण खटास आई है। बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि सभी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाए रखे जा सकें।
व्लादिमीर पुतिन से भी हो सकती है मुलाकात
1 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह तीन बड़ी शक्तियों - भारत, चीन और रूस - के नेताओं की वर्ष 2025 की महत्वपूर्ण कूटनीतिक गतिविधियों में से एक होगी। यह मुलाकात वैश्विक राजनीति के कई समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।