Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 01 Sep, 2025 12:14 PM

चीन के तियानजिन में SCO समिट के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की अहम द्विपक्षीय वार्ता हुई। अमेरिका के दबाव के बीच, खासकर रूस से तेल खरीद पर लगे टैरिफ को लेकर, दोनों नेताओं ने ऊर्जा, रक्षा और व्यापार सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। इसके पहले...
इंटरनेशनल डेस्क: चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट संपन्न हो गया है। इस समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। समिट के समापन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता हुई। यह वार्ता तियानजिन के होटल रिट्ज कार्लटन में आयोजित की गई, जहां दोनों नेता अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ मौजूद थे।
अमेरिकी दबाव के बीच वार्ता की अहमियत
यह बैठक खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर दबाव बनाया हुआ है। अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया है, जिसके तहत रूस से आयातित तेल पर भारत को कुल मिलाकर 50 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, अगर भारत रूस से तेल खरीदता रहता है तो 25 प्रतिशत अतिरिक्त पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। ऐसे में मोदी-पुतिन की यह वार्ता दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनीतिक रिश्तों को लेकर एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।
मोदी-पुतिन की वार्ता के प्रमुख विषय
वार्ता में दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इनमें मुख्य रूप से ऊर्जा सहयोग, रक्षा क्षेत्र में साझेदारी, आर्थिक व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाना और क्षेत्रीय सुरक्षा शामिल हैं। खासतौर पर रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत को जिस तरह का दबाव मिल रहा है, उससे निपटने के लिए रणनीति पर भी बातचीत हुई। इसके अलावा दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान, मध्य एशिया और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
पीएम मोदी की शी जिनपिंग से मुलाकात
इससे पहले पीएम मोदी ने तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। शी जिनपिंग ने भारत और चीन के बीच शांति बनाए रखने पर जोर दिया और इसे ‘हाथी-ड्रैगन’ की दोस्ती बताया। इस बैठक में दोनों देशों ने आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने पर सहमति जताई।
भारत-रूस संबंधों की नई दिशा
मोदी और पुतिन की यह बैठक भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने वाली बताई जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग को और मजबूत किया गया है। खासकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी ने दोनों देशों को काफी करीब ला दिया है। तियानजिन वार्ता के बाद उम्मीद की जा रही है कि भारत और रूस अपनी दोस्ती को और गहरा करेंगे और अमेरिका के दबाव के बावजूद अपने हितों की रक्षा करेंगे।