संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाक पीएम काकड़ ने फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, भारत आज देगा जवाब

Edited By Pardeep,Updated: 23 Sep, 2023 06:12 AM

pak pm kakar again raised kashmir issue in un general assembly

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा में अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है।

संयुक्त राष्ट्रः पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा में अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है। पाकिस्तान, बैठकों में चर्चा के एजेंडे और विषय की परवाह किए बिना लगातार संरा के विभिन्न मंचों पर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। 

पाकिस्तान, भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ चाहता है शांतिपूर्ण संबंध
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की आम बहस के दौरान काकड़ ने कहा कि पाकिस्तान, भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान और भारत के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है।'' 

उन्होंने कहा, ''विकास, शांति पर निर्भर करता है। पाकिस्तान आर्थिक रूप से दुनिया के सबसे कम विकसित क्षेत्र में स्थित है और हमारा मानना है कि क्षेत्र एक साथ विकसित होता है, इसलिए भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध बनाना चाहता है।'' काकड़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कश्मीर पर अपने प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को 'मजबूत' किया जाना चाहिए। वहीं अब भारत के पास शनिवार सुबह यूएनजीए में पाकिस्तान के भाषण का जवाब देने का अधिकार होगा। 

इससे पहले अगस्त में पाकिस्तान के पूर्व पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई थी। शहबाज ने कहा कि वह अपने पड़ोसियों के साथ, हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि पड़ोसी मेज पर गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए गंभीर हो क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है। शरीफ ने कहा था कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, एक हमलावर के रूप में नहीं बल्कि हमारे रक्षा उद्देश्यों के लिए पिछले 75 वर्षों में हमने तीन युद्ध लड़े हैं। और जो हुआ वह अधिक गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी उत्पन्न करता है।

 

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