Edited By Tanuja,Updated: 29 Dec, 2025 03:55 PM

अर्जेंटीना ने माल्विनास (फॉकलैंड) विवाद पर भारत के ऐतिहासिक समर्थन की सराहना करते हुए UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को उचित बताया है। साथ ही ऊर्जा, व्यापार, रक्षा और लिथियम जैसे अहम क्षेत्रों में भारत-अर्जेंटीना संबंधों को और गहरा करने...
International Desk: अर्जेंटीना ने माल्विनास (फॉकलैंड द्वीप) विवाद पर भारत के रुख की सराहना करते हुए एक बार फिर अपने ऐतिहासिक दावे को दोहराया है। भारत में अर्जेंटीना के राजदूत मारियानो काउचिनो ने कहा कि माल्विनास द्वीप अर्जेंटीना को 1816 में स्पेन से स्वतंत्रता के बाद विरासत में मिले थे, लेकिन 1833 में ब्रिटेन ने इन्हें “अवैध रूप से कब्जा” लिया। राजदूत ने बताया कि अर्जेंटीना लगातार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है और संयुक्त राष्ट्र में भारत के शुरुआती समर्थन को वह बेहद अहम मानता है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष उस ऐतिहासिक मौके की 60वीं वर्षगांठ है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार इस विवाद पर चर्चा कर दोनों पक्षों से कूटनीतिक समाधान की अपील की थी।
काउचिनो ने कहा कि 1950 और 1960 के दशक में भारत ने एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में उपनिवेशवाद के खिलाफ एक मजबूत आवाज के रूप में उभरते हुए अर्जेंटीना को अहम समर्थन दिया। भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की दावेदारी पर उन्होंने कहा कि मौजूदा परिषद संरचना आज की वैश्विक वास्तविकताओं को नहीं दर्शाती। उनके अनुसार, 1945 की विश्व व्यवस्था अब बदल चुकी है और भारत जैसे बड़े देशों का प्रतिनिधित्व न होना एक बड़ी कमी है। उन्होंने भारत की दावेदारी को “समझने योग्य और तार्किक” बताया, हालांकि वैश्विक सहमति की कमी को सबसे बड़ी चुनौती भी माना।
राजदूत ने भारत-अर्जेंटीना द्विपक्षीय संबंधों को “बेहद सकारात्मक” बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगभग छह दशक बाद अर्जेंटीना यात्रा एक ऐतिहासिक मील का पत्थर रही। भारत अब अर्जेंटीना का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है और दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।उन्होंने बताया कि सहयोग अब खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर ऊर्जा सुरक्षा, खनन और महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच चुका है। खास तौर पर लिथियम के क्षेत्र में अर्जेंटीना के पास दुनिया के सबसे बड़े भंडार हैं, जहां भारतीय कंपनियां पहले से निवेश कर रही हैं। यह भारत के इलेक्ट्रिक वाहन और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों के लिए अहम माना जा रहा है।
रक्षा सहयोग पर भी उन्होंने कहा कि सैन्य आदान-प्रदान, संयुक्त पर्वतारोहण अभियानों और ब्यूनस आयर्स स्थित भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे की नियुक्ति से रणनीतिक संबंध मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने हाल ही में अपने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे किए हैं। वैश्विक संघर्षों पर बात करते हुए काउचिनो ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की और पश्चिम एशिया में इजरायल के समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने 7 अक्टूबर के आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि अर्जेंटीना और भारत दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं और इस मुद्दे पर उनकी सोच समान है। यूक्रेन युद्ध पर उन्होंने इसे जटिल और लंबा संकट बताते हुए अमेरिका और अन्य देशों की शांति पहलों का समर्थन किया तथा भारत की कूटनीतिक भूमिका की भी सराहना की।