Edited By Tanuja,Updated: 06 Jul, 2024 12:32 PM
ईरान की सत्ता में बड़े फेरबदल ने दुनिया को हैरान कर दिया है के राष्ट्रपति चुनाव में उदारवादी नेता मसूद पजशकियान ने 30 लाख वोटों से कट्टरपंथी ...
इंटरनेशनल डेस्कः ईरान की सत्ता में बड़े फेरबदल ने दुनिया को हैरान कर दिया है के राष्ट्रपति चुनाव में उदारवादी नेता मसूद पजशकियान ने 30 लाख वोटों से कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हरा कर हादसे में मारे गए राष्ट्रपति रईसी की गद्दी पर कब्जा कर लिया है। पजशकियान ने सईद जलीली को बड़े अंतर से हराया। उनको 1.64 करोड़ वोट मिले वहीं जलीली को 1.36 करोड़ वोट हासिल हुए। बता दें कि ईरान में इसी साल फरवरी में चुनाव हुए थे जिसमें इब्राहिम रईसी दोबारा देश के राष्ट्रपति बने थे लेकिन उनकी मौत के बाद पजशकिया देश के 9वें राष्ट्रपति बन गए हैं मसूद पजशकियान को एक हिजाब विरोधी और उदारवादी नेता के रूप में जाना जाता है। ईरान में पिछले महीने एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मृत्यु हो जाने के बाद, शुक्रवार को पेजेशकियन और जलीली के बीच सीधे मुकाबले के तहत मतदान हुआ था।
पेजेशकियन एक करोड़ 63 लाख मतों के साथ विजयी घोषित किए गए जबकि जलीली को एक करोड़ 35 लाख वोट मिले। इससे पहले 28 जून को मतदान के शुरुआती दौर में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिले थे जिसके कारण शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला हुआ। पेजेशकियन की बढ़त मजबूत होने के साथ ही उनके समर्थकों ने तेहरान और अन्य शहरों में सड़कों पर उतरकर जश्न मनाना शुरू कर दिया था। ये चुनाव ऐसे समय में हुए हैं, जब इजराइल-हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर पश्चिम एशिया में व्यापक स्तर पर तनाव है और ईरान पिछले कई वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
मसूद पेजेशकियन का झुकाव पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी की ओर है, जिनके शासन के तहत तेहरान ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 का ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था। हालांकि, यह परमाणु समझौता रद्द हो गया था और कट्टरपंथी नेता दोबारा सत्ता पर काबिज हो गये थे। हृदय रोग विशेषज्ञ मसूद (69) फिर से परमाणु समझौता करने और पश्चिमी देशों से संबंध बेहतर करने के पक्षधर हैं। पजशकियान फिलहाल देश के स्वास्थ्य मंत्री हैं। चुनाव से पहले राजनीतिक भाषणों के दौरान उन्होंने कई बार हिजाब की खिलाफत की थी। उन्होंने कई बार कहा है कि वो किसी प्रकार के मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ हैं। गौरतलब है कि इस चुनाव में हिजाब का मुद्दा छाया रहा।