'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के 10 साल: लिंगानुपात में सुधार, शिक्षा और महिला सुरक्षा में गिरावट

Edited By Updated: 21 Jan, 2025 11:02 AM

10 years of  beti bachao beti padhao  scheme

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बेटियों को बचाना और उन्हें शिक्षा के अधिकार से जोड़ना था। अब इस योजना को शुरू हुए 10 साल होने जा रहे हैं। इन वर्षों में योजना ने लिंगानुपात...

नेशनल डेस्क. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बेटियों को बचाना और उन्हें शिक्षा के अधिकार से जोड़ना था। अब इस योजना को शुरू हुए 10 साल होने जा रहे हैं। इन वर्षों में योजना ने लिंगानुपात में सुधार और लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में कुछ हद तक सफलता हासिल की है, लेकिन कई चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।

लिंगानुपात में सुधार और जागरूकता बढ़ी

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य लड़कियों के जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार लाना और समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना था। इस दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव हुए हैं, लेकिन अभी भी कई जगहों पर लिंग भेदभाव की समस्या बनी हुई है।

शिक्षा में उतार-चढ़ाव

हालांकि योजना का उद्देश्य लड़कियों को शिक्षा के साथ जोड़ना था, लेकिन इसके परिणाम मिलेजुले रहे हैं। विभिन्न शिक्षा स्तरों पर लड़कियों का नामांकन दर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

प्राथमिक शिक्षा: इसमें लड़कियों का नामांकन दर 90-100% के बीच था।

माध्यमिक शिक्षा: यहाँ नामांकन दर गिरकर 77-80% तक आ गई है।

उच्चतर माध्यमिक शिक्षा: इस स्तर पर नामांकन और भी कम होकर 50-58% के बीच पहुंच गया है।


महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा

इस योजना का एक उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना भी था। खासकर लड़कियों को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण के माध्यम से। लेकिन इस क्षेत्र में योजना के प्रयासों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि देखने को मिली है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 12.9% की वृद्धि हुई है।

100 जिलों से पूरे देश तक का विस्तार

शुरुआत में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना को केवल 100 जिलों में लागू किया गया था। लेकिन अब यह योजना पूरे देश में फैल चुकी है। इसके तहत मासिक धर्म स्वास्थ्य, खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने और अन्य समाजिक पहलुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

अभी भी कई चुनौतियाँ बाकी 

योजना के पहले 10 सालों में कुछ सकारात्मक परिणाम मिले हैं, लेकिन शिक्षा, महिला सुरक्षा और सरकारी फंड का सही इस्तेमाल करने जैसे कई मुद्दे अभी भी समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि इन चुनौतियों को दूर करने के लिए योजना के क्रियान्वयन को और प्रभावी बनाया जाए।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!