लोकसभा में उठा राजधानी के 13 थानों का मामला, किराए के बिल्डिंग में चल रहा काम

Edited By Updated: 08 Dec, 2023 10:35 AM

13 police stations delhi running rented buildings

राजधानी के 225 में 13 थाने किराये की इमारतों में चलने का मामला कल लोकसभा में भी उठा, जिससे माना जा रहा है पुलिस विभाग अब अपनी जमीन पर थानों का निर्माण करने की दिशा में प्रयास तेज कर सकता है।

नैशनल डैस्क: राजधानी के 225 में 13 थाने किराये की इमारतों में चलने का मामला कल लोकसभा में भी उठा, जिससे माना जा रहा है पुलिस विभाग अब अपनी जमीन पर थानों का निर्माण करने की दिशा में प्रयास तेज कर सकता है। राजधानी की आबादी जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस को नए थाने भी खोलने पड़ रहे हैं। कई थानों को जमीन न मिल पाने के कारण वे अब तक किराये की इमारतों में ही चल रहे हैं।

ऐसे थानों में सुविधाओं का घोर अभाव रहता है, जिससे कामकाज में अड्चन आती ही है, साथ ही महिला पुलिसकर्मियों को सर्वाधिक परेशानी उठानी पड़ती है। किराये पर भी भारी खर्च करना पड़ रहा है। ये थाने तीन से साढ़े सात लाख रुपये मासिक किराये पर चल रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के आधार पर दैनिक जागरण ने 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस के 13 थाने किराये की इमारतों में चलने की खबर प्रकाशित की थी।

कई थाने को खोले हुए 15 साल से भी अधिक समय बीत चुका है, लेकिन उन्हें अब तक अपने भवन के लिए जमीन नहीं मिल पाई है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक सरकारी विभागों में तालमेल के अभाव के कारण ऐसा हो रहा है। थानों के लिए जमीन प्राप्त करने के लिए पुलिस विभाग डीडीए और एमसीडी के अलावा दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग से ग्राम सभा व कृषि भूमि के लिए वर्षों से चक्कर काट रहा है, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है।

जमीन न मिल पाने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे भी थाने हैं, जहां दो थाने एक ही परिसर में चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर मंडावली और मधु विहार थाने एक ही बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसी तरह सरोजनी नगर और सफदरजंग एन्क्लेव थाने एक ही परिसर में है। हर साल दिल्ली पुलिस को मिलने बाले बजट में करोड़ों रुपये नए थानों के भवन निर्माण और पुलिसकर्मियों के आवासीय कालोनियों के लिए मिलते हैं, लेकिन उक्त रकम पुलिस विभाग उस मद में खर्च नहीं कर पा रहा है।

कुछ थानों को जमीन मिली भी है, तो वह पर्याप्त नहीं है। जिससे वहां भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। ऐसे थाने पोटा केबिन में ही चल रहे हैं। वहीं अधिकारियों तक को बैठने में असुविधा होती है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस बार के बजट में दिल्ली पुलिस को 11932.03 करोड़ रुपये दिए गए। अगर पुलिस विभाग को 1.55 संबंधित सरकारी विभागों के सहयोग से जमीन मिल जाती तब थानों की इमारतों का निर्माण किया जा सकता था। मजबूरी में विभाग को थानों का किराया भरना पड़ रहा है। यही हाल दिल्ली मेट्रो थाने का है। दिल्ली पुलिस को मेट्रो के 16 थाने खखेोलने पड़े। संयोग से डीएमआरसी ने सभी थानों को अपनी जगह मुफ्त में मुहैया कराई है। मेट्रो पुलिस के डीसीपी का कार्यालय भी कश्मीरी गेट पर पोटा केबिन में ही चल रहा है। 

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