Lok Sabha Electoral Reforms Debate: लोकसभा में मनीष तिवारी ने उठाए बड़े सवाल, पूछा- EVM का Source Code किसके पास?

Edited By Updated: 09 Dec, 2025 01:00 PM

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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में देश के चुनाव सुधारों और कानूनों की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने EVM और चुनाव के दौरान Direct Cash Transfer जैसे मुद्दों को गंभीरता से उठाने की मांग की है।

नेशनल डेस्क: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में देश के चुनाव सुधारों और कानूनों की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने EVM और चुनाव के दौरान Direct Cash Transfer जैसे मुद्दों को गंभीरता से उठाने की मांग की है।

मनीष तिवारी की तीन मुख्य मांगें

सांसद मनीष तिवारी ने लोकतंत्र और सुशासन को बेहतर बनाने के लिए सदन में तीन प्रमुख मांगें रखीं:

  1. CEC की नियुक्ति का कानून बदले: उन्होंने मांग की कि CEC की नियुक्ति करने वाली समिति में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के CJI को शामिल किया जाए, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सके।

  2. SIR बंद हो: तिवारी ने कहा कि SIR कराने का कानूनी अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है। अगर यह जारी रखना ही है, तो चुनाव आयोग को Machine Readable वोटर लिस्ट देनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि SIR को बंद किया जाना चाहिए क्योंकि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है।

  3. चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश ट्रांसफर बंद हो: उन्होंने मांग की कि चुनाव से ठीक पहले लोगों के खातों में Direct Cash Transfer बंद होना चाहिए। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है और सरकारी राजस्व का दुरुपयोग है।

EVM का सोर्स कोड किसके पास?

मनीष तिवारी ने EVM की विश्वसनीयता पर जनता के मन में उठ रही शंकाओं को दूर करने की बात कही। उन्होंने कहा कि शंका दूर करने के दो ही तरीके हैं। पहला सभी चुनावों में 100% वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का इस्तेमाल हो या फिर पेपर बैलेट से चुनाव कराए जाएं। उन्होंने सरकार से पूछा कि EVM का सोर्स कोड किसके पास है—चुनाव आयोग के पास या फिर उन कंपनियों के पास जो मशीनें बनाती हैं?

सरकारी देनदारियों पर लगे लगाम

मनीष तिवारी ने चुनाव के समय कैश ट्रांसफर को लेकर वित्तीय अनुशासन का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने केंद्र से लेकर राज्यों तक की सरकारों की देनदारियों के आंकड़े गिनाए और चेतावनी दी कि इससे राज्यों पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने मांग की कि संसद को कानून में एक आर्टिकल जोड़कर सीमा तय करनी चाहिए कि अगर किसी सरकार का GDP Ratio 20% से ज्यादा है, तो वह कोई कैश ट्रांसफर नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने पर कोई भी राज्य सरकार नहीं बदलेगी और कर्ज का बोझ बढ़ता जाएगा।

SIR कराने का अधिकार नहीं

मनीष तिवारी ने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग के पास कानूनी तौर पर सारांश पुनरीक्षण (SIR) कराने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो संविधान में और न ही कानून में SIR का प्रावधान है। यह सिर्फ एक ऐसा हथियार था, जिसका इस्तेमाल किसी क्षेत्र की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लिखित कारण बताकर ठीक करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि सरकार को सदन पटल पर यह स्पष्ट रखना चाहिए कि किस निर्वाचन क्षेत्र में कौन सी खामियां मिलीं और क्यों SIR की जरूरत पड़ी।

 

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