Edited By Tanuja,Updated: 15 Jul, 2025 10:55 AM

दुनियाभर में पिछले साल 1.4 करोड़ से अधिक बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा जो 2023 की संख्या के लगभग बराबर है। इन बच्चों में से आधे से ज्यादा भारत समेत नौ देशों से ...
International Desk: दुनियाभर में पिछले साल 1.4 करोड़ से अधिक बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा जो 2023 की संख्या के लगभग बराबर है। इन बच्चों में से आधे से ज्यादा भारत समेत नौ देशों से हैं। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वैश्विक टीकाकरण के संबंध में मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ ने बताया कि 2024 में एक वर्ष से कम उम्र के लगभग 89 प्रतिशत बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी के टीके की पहली खुराक मिली जो 2023 के बराबर है।
इसने कहा कि लगभग 85 प्रतिशत बच्चों ने ही इन टीकों की तीनों खुराक लीं, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 84 प्रतिशत था। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि टीकाकरण अब भी आसान नहीं है और संघर्ष व मानवीय संकटों के कारण टीकाकरण में हुई प्रगति तुरंत ही कमजोर पड़ने लग जाती है। उन्होंने बताया कि डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी के खिलाफ सबसे कम टीकाकरण सूडान में हुआ। आंकड़ों के अनुसार टीकाकरण से वंचित बच्चों में से 52 प्रतिशत केवल नौ देशों- नाइजीरिया, भारत, सूडान, कांगो, इथियोपिया, इंडोनेशिया, यमन, अफगानिस्तान और अंगोला से थे।
WHO और यूनिसेफ ने कहा कि खसरे के खिलाफ टीककारण में थोड़ी वृद्धि हुई है, दुनियाभर में 76 प्रतिशत बच्चों को दोनों टीके लग चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार टीकाकरण से हर साल 35 लाख से 50 लाख मौतें रोकने में मदद मिलती है। हालांकि, अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय सहायता मिलना बंद होने से बच्चों का टीकाकरण और मुश्किल हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जनवरी में अपने देश को डब्ल्यूएचओ से बाहर कर लिया, लगभग सभी मानवीय सहायता को रोक दिया और बाद में अमेरिकी सहायता एजेंसी (USAID) को बंद करने की दिशा में कदम उठाए।