भारत में बालिका शिक्षा के लिए 46,00 किलोमीटर दौड़ेंगे आस्ट्रेलियाई धावक

Edited By Updated: 07 Dec, 2015 07:21 PM

46 00 kilometers australian sprinter will run for girls education in india

आस्ट्रेलियाई मैराथन धावक पैट्रिक फार्मर ने भारत में बालिका शिक्षा के लिए कोष जुटाने के लिए कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक दौडऩे के अपने फैसले की आज घोषणा की। ‘

नई दिल्ली: आस्ट्रेलियाई मैराथन धावक पैट्रिक फार्मर ने भारत में बालिका शिक्षा के लिए कोष जुटाने के लिए कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक दौडऩे के अपने फैसले की आज घोषणा की। ‘स्पिरिट ऑफ इंडिया’ नाम की अपनी दौड़ के जरिए फार्मर अगले साल 26 जनवरी से 60 दिनों में 10 राज्यों से होकर 4,600 किलोमीटर की दूरी तय करने वाले हैं।  

फार्मर ने बताया,‘‘इस दौड़ के पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा का समर्थन करना है। यह कुछ एेसी चीज है जिसे में बहुत जरूरी समझता हूं और मेरा मानना है कि हर लड़की को बुनियादी साक्षरता मिलनी चाहिए क्योंकि शिक्षा उनकी और हमारी दुनिया को बदलने का जरिया है।’’  
 
दिलचस्प बात है कि 26 जनवरी भारत का गणतंत्र दिवस होने के साथ-साथ आस्ट्रेलिया दिवस भी है। लंबी दूरी की दौड़ में विश्व रिकार्ड कायम करने वाले 53 वर्षीय फार्मर कन्याकुमारी से अपनी दौड़ शुरू करने वाले हैं और वह पश्चिमी तट के साथ आगरा और दिल्ली होते हुए दो महीने में श्रीनगर पहुंच कर अपनी यात्रा खत्म करेंगे। फार्मर ने बताया कि उनकी योजना रोज 80 किलोमीटर दौडऩे की है।   
 
आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त पैट्रिक सकलिंग ने बताया कि एक प्रख्यात आस्ट्रेलियाई की यह दौड़ हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में एक और कदम है, खासतौर पर दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क में। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और विविधता हमें लुभाती है। जब पैट भारत में दौड़ेंगे तब इस देश की समृद्ध विविधता को एक फिल्म क्रू अपने कैमरे में दर्ज करेगा जिससे हम उनके अनुभव को देख सकेंगे और साझा कर सकेंगे। अपनी दौड़ के दौरान आस्ट्रेलिया के इस पूर्व संसद सदस्य द्वारा विभिन्न स्थानों पर सत्रों को भी संबोधित किए जाने का कार्यक्रम है ताकि बालिका शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके।   
 
अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद अगले 15 साल तक अपने बच्चों का खुद से लालन पालन करने वाले फार्मर ने बताया,‘‘मैंने समाज में महिला होने का महत्व महसूस किया और हमारे बच्चों की माताओं की अहमियत को समझा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मां हमारे बच्चों की पहली शिक्षक होती हैं। इसलिए यदि मां पढ़ लिख सकती हैं तो समूचे राष्ट्र का पिछड़ापन दूर हो जाएगा और फिर पूरा देश आगे बढ़ेगा।’’

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