Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Oct, 2025 10:27 AM

दुनिया भर में अगली पीढ़ी की वायरलेस तकनीक 6G को लॉन्च करने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और इसी क्रम में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के आबू-धाबी में 6G की एक सफल टेस्टिंग पूरी की गई है जिसने इंटरनेट स्पीड के...
नेशनल डेस्क। दुनिया भर में अगली पीढ़ी की वायरलेस तकनीक 6G को लॉन्च करने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और इसी क्रम में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के आबू-धाबी में 6G की एक सफल टेस्टिंग पूरी की गई है जिसने इंटरनेट स्पीड के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस नई तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइसेज के लिए एक बड़ा वरदान माना जा रहा है।
5G से कई गुना तेज़, स्पीड पहुंची 145 Gbps
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) और e& UAE ने मिलकर मिडिल ईस्ट के पहले 6G टेराहर्ट्ज (THz) पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस नई पीढ़ी के नेटवर्क का सफल परीक्षण किया। टेस्टिंग के दौरान इंटरनेट की रिकॉर्ड ब्रेकिंग स्पीड दर्ज की गई है:

6G की स्पीड: परीक्षण में 145 Gbps (गीगाबिट्स प्रति सेकंड) की हैरान कर देने वाली स्पीड मिली।
5G से तुलना: यह स्पीड मौजूदा 5G नेटवर्क की पीक स्पीड (लगभग 10 Gbps) के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार 6G की यह क्षमता अल्ट्रा हाई कैपेसिटी में इंटरनेट डेटा ट्रांसफर करने में मदद करेगी।
AI और IoT के लिए वरदान
इस पायलट प्रोजेक्ट में की गई 6G की टेस्टिंग से पता चलता है कि यह केवल तेज़ स्पीड ही नहीं देगा बल्कि अल्ट्रा हाई कैपेसिटी इंटरनेट एक्सेस, कम लेटेंसी लिंक और एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) वाले डिवाइसेज को भी बेहतरीन सपोर्ट देगा।
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मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन: 6G नेटवर्क में मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन (M2M) को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा जिससे सभी डिवाइस ज़्यादा इंटेलिजेंट यानी समझदार हो जाएंगे।
बाधारहित कनेक्टिविटी: 6G नेटवर्क में डिवाइस की कनेक्टिविटी में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आएगी। चाहे वह रेगिस्तान हो, समुद्र तल हो या एयर स्पेस – 6G नेटवर्क को हाई लेटेंसी में एक्सेस किया जा सकेगा।

भारत में तैयारी
भारत सहित दुनिया के कई देश वर्तमान में 5.5G नेटवर्क को लाइव कर रहे हैं लेकिन 6G पर रिसर्च तेज़ी से जारी है। 6G आने के बाद इंटरनेट स्पीड के कम होने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी और IoT डिवाइस की कनेक्टिविटी हमेशा बरकरार रहेगी।