Edited By Mehak,Updated: 15 Nov, 2025 06:44 PM

भारत में मिडिल क्लास नौकरियों पर संकट गहराता जा रहा है, जो केवल मंदी की वजह से नहीं बल्कि कंपनियों के ऑपरेशन, AI और वैश्विक व्यापारिक परिस्थितियों के कारण है। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी के अनुसार, आने वाले 2-3 साल में...
नेशनल डेस्क : भारत में मिडिल क्लास सेक्टर की नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है, और यह केवल आर्थिक मंदी की वजह से नहीं है बल्कि कई अन्य कारणों के चलते है। Marcellus Investment Managers के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने चेताया है कि अगर नीति निर्माताओं ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
नौकरियों में बदलाव के कारण
मुखर्जी के अनुसार, यह संकट आर्थिक मंदी का परिणाम नहीं है। कंपनियां लागत कम करने और दक्षता बढ़ाने के लिए AI और ऑटोमेशन को अपनाती जा रही हैं। IT, बैंकिंग और मीडिया जैसे पारंपरिक मिडिल क्लास सेक्टर की नौकरियों की जगह अब गिग जॉब्स ले रहे हैं। विज्ञापन, मॉडलिंग और मीडिया के कई काम अब AI के जरिए किए जा रहे हैं।
गिग इकोनॉमी का बढ़ता प्रभाव
मुखर्जी ने बताया कि आने वाले दो-तीन सालों में भारत का वर्कफोर्स काफी हद तक गिग इकॉनमी की ओर मुड़ सकता है। यह सिर्फ राइडशेयर या फूड डिलीवरी तक सीमित नहीं होगा, बल्कि कई पेशेवर क्षेत्रों में भी गिग जॉब्स का प्रभाव दिखाई देगा।
घरेलू कर्ज और वित्तीय दबाव
भारत में घरेलू कर्ज का बोझ भी इस संकट को और बढ़ा रहा है। होम लोन को छोड़कर, भारतीय घरेलू कर्ज आय का लगभग 33-34% है, जो दुनिया में सबसे अधिक माना जाता है। इस कारण उपभोग को बढ़ावा देना इतना आसान नहीं है।
अमेरिका के व्यापारिक तनाव का असर
मुखर्जी ने अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और ट्रंप टैरिफ की संभावित वापसी पर भी चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ट्रंप टैरिफ को हटाया नहीं गया, तो क्रिसमस तक लगभग 2 करोड़ भारतीय नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।