Trump Tariff Effect on India: भारत ने अमेरिकी टैरिफ की परवाह किए बिना खेला ऐसा गेम...देखती रह गई पूरी दुनिया

Edited By Updated: 05 Sep, 2025 04:06 PM

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भारत ने अमेरिकी टैरिफ की परवाह किए बिना ऐसा गेम खेला कि पूरी दुनिया देखती रह गई। रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदकर भारत ने न सिर्फ अमेरिका के 25% अतिरिक्त टैक्स को ठेंगा दिखाया, बल्कि उस तेल को प्रोसेस करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में जमकर बेचा और भारी...

नेशनल डेस्क :  भारत ने अमेरिकी टैरिफ की परवाह किए बिना ऐसा गेम खेला कि पूरी दुनिया देखती रह गई। रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदकर भारत ने न सिर्फ अमेरिका के 25% अतिरिक्त टैक्स को ठेंगा दिखाया, बल्कि उस तेल को प्रोसेस करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में जमकर बेचा और भारी मुनाफा भी कमाया। अब भारत का डीजल यूरोप तक में धड़ल्ले से बिक रहा है। आंकड़े बताते हैं कि भारत ने अगस्त 2025 में डीजल शिपमेंट के मामले में यूरोप को चौंका दिया है।

भारत की तेल नीति से बदला ग्लोबल गेमप्लान
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जब पश्चिमी देशों ने रूसी तेल और ऊर्जा संसाधनों पर सख्त प्रतिबंध लगाए, तब भारत ने रणनीतिक चतुराई दिखाते हुए रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया। इसे घरेलू रिफाइनरियों में प्रोसेस कर भारत ने वैश्विक बाजार, खासकर यूरोप, में डीजल की आपूर्ति तेज कर दी।

एक्सपोर्ट में ऐतिहासिक उछाल
आंकड़ों की बात करें तो भारत का डीजल निर्यात अगस्त 2025 में सालाना आधार पर 137% की जबरदस्त बढ़ोतरी के साथ प्रतिदिन 2,42,000 बैरल तक पहुंच गया। ग्लोबल रियल टाइम डेटा एंड एनालिटिक्स प्रोवाइडर Kpler के अनुसार, सिर्फ यूरोप को भारत ने अगस्त में 73% अधिक डीजल भेजा, जबकि सालाना आंकड़ा 124% की ग्रोथ दिखाता है। वहीं, Vortexa की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में यूरोप को भारत का डीजल एक्सपोर्ट 228,316 बैरल प्रतिदिन रहा, जो पिछले साल की तुलना में 166% अधिक है और जुलाई 2025 के मुकाबले 36% ज्यादा।

रिलायंस जैसी कंपनियों को झटका लग सकता है
भले ही फिलहाल भारत की ऊर्जा नीति फायदेमंद नजर आ रही हो, लेकिन 2026 की शुरुआत में यूरोपीय यूनियन के प्रस्तावित प्रतिबंधों के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों को बड़ा धक्का लग सकता है, जो रूस के तेल पर आधारित रिफाइनिंग करती हैं और यूरोप को सप्लाई देती हैं।

क्यों बढ़ा भारत का डीजल निर्यात? इस बूम के पीछे कई कारण हैं:-
-यूरोप में शीतकालीन मांग (Winter Demand) की तेजी।
-रिफाइनरियों द्वारा की गई अन्यतम मेंटेनेंस।
-रूस पर प्रतिबंधों से उत्पन्न आपूर्ति की कमी।
-भारत की गंभीर सप्लाई चेन क्षमताएं और लो-कोस्ट रिफाइनिंग।
-इन सभी कारकों ने भारत को यूरोपीय ऊर्जा संकट के बीच एक प्रमुख सप्लायर बना दिया है।

पश्चिमी आलोचना और भारत का जवाब
भारत की इस ऊर्जा रणनीति पर अमेरिका और उसके सहयोगी तीखी आलोचना कर रहे हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि भारत, रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे प्रोसेस करने के बाद यूरोप को ऊंचे दाम पर बेच रहा है- और ऐसा करके मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के लिए अप्रत्यक्ष फंडिंग मिल रही है। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए साफ कहा है: “हम बाजार से खरीदते हैं और उसे वैश्विक बाजार में बेचते हैं। यदि किसी देश को इससे आपत्ति है, तो वे खरीद बंद करने के लिए स्वतंत्र हैं।”

क्या डीजल की मांग बनी रहेगी?
ऊर्जा विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के अंत तक डीजल की वैश्विक मांग मजबूत बनी रहेगी। विशेषकर यूरोप जैसे बाजार, जो वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश में हैं, फिलहाल भारतीय सप्लायर्स पर निर्भर रह सकते हैं।

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