Edited By vasudha,Updated: 01 Aug, 2020 09:13 AM
देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जा रही है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य के सख्त दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए मुस्लिम समुदाय ने बकरीद का जश्न साधारण तरीके से मनाया। दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह 6 बजकर 5...
नेशनल डेस्क: देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जा रही है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य के सख्त दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए मुस्लिम समुदाय ने बकरीद का जश्न साधारण तरीके से मनाया। दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर नमाज अदा की गई।
सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बड़ी मस्जिदों में 100 लोगों को प्रवेश की अनुमति है, लेकिन शीरीरिक दूरी संबंधी नियमों, मास्क पहनने तथा सैनेटाइजर के इस्तेमाल संबंधी सख्त स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है। वैश्विक महामारी के चलते इस साल विशाल ईदगाहों में नमाज की अनुमति नहीं है।
वहीं जामा मस्जिद में भी सरकार के दिशा-निर्देश का पालन किया गया। वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद ही लोगों को मस्जिद में प्रवेश दिया। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद या ईद-उल-जुहा मनाई जाती है। यह त्योहार ईद के 70 दिन बाद कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है।
इस्लाम मजहब की मान्यताओं के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। कहा जाता है कि अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम से कहा था कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें और इसलिए पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया था। कहते हैं कि जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे। उसी वक्त अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर बेटे को एक बकरे से बदल दिया था। तभी से बकरा ईद अल्लाह में पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाई जाती है।