Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Nov, 2025 11:21 AM

केंद्र सरकार बैंकों के ढांचे में बड़े सुधार की योजना बना रही है। इस सुधार के तहत देश में सरकारी बैंकों की संख्या काफी घटकर सिर्फ चार तक रह जाएगी। छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंक बड़े बैंकों में विलीन किए जाएंगे, जिससे बैंकिंग सिस्टम और मजबूत और...
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार बैंकों के ढांचे में बड़े सुधार की योजना बना रही है। इस सुधार के तहत देश में सरकारी बैंकों की संख्या काफी घटकर सिर्फ चार तक रह जाएगी। छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंक बड़े बैंकों में विलीन किए जाएंगे, जिससे बैंकिंग सिस्टम और मजबूत और संगठित बने।
कौन-कौन से बैंक मर्ज होंगे
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BoI) के विलय पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। अगर यह दोनों बैंक मर्ज होते है, तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा। यूनियन बैंक के पास लगभग 21 करोड़ खाताधारक हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के 5.5 करोड़ ग्राहक हैं। मर्जर के बाद नए बैंक के ग्राहक आधार की संख्या 25.5 करोड़ के आसपास होगी, जो SBI के 26 करोड़ खाताधारकों के मुकाबले लगभग बराबर है।
ग्राहकों को क्या बदलाव नजर आएंगे
मर्जर से सीधे तौर पर ग्राहकों की जमा राशि, लेनदेन, लोन ब्याज दर या एफडी पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन बड़े बैंक में विलीन होने से ग्राहकों को कई फायदे मिलेंगे:
-अधिक शाखाएं और ATM नेटवर्क
-एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म और बेहतर ऑनलाइन सेवाएं
-तेज़ लोन प्रोसेसिंग और बेहतर ग्राहक सेवा
हालांकि, मर्जर के बाद ब्रांच कोड, IFSC, पासबुक और चेकबुक में बदलाव होंगे, जिसके लिए ग्राहकों को कुछ कागजी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ सकती है।
सरकार एक साथ कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की योजना बना रही है। इसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BoI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) के मर्जर पर भी चर्चा चल रही है। इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की ताकत बढ़ेगी, उनकी बैलेंस शीट मजबूत होगी और बड़े पैमाने पर सुधार की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।