Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Jun, 2020 09:16 AM
धरती की तरफ अंतरिक्ष से एक आफत बड़ी तेज रफ्तार से आ रही है। यह आफत है एक बहुत बड़ा उल्कापिंड (Asteroid)। यह उल्कापिंड अगर धरती पर गिरा तो कई किलोमीटर तक तबाही मचा सकता है क्योंकि इसकी गति काफी ज्यादा तेज है। वहीं अगर यह उल्कापिंड समुद्र में गिरा तो...
नेशनल डेस्कः धरती की तरफ अंतरिक्ष से एक आफत बड़ी तेज रफ्तार से आ रही है। यह आफत है एक बहुत बड़ा उल्कापिंड (Asteroid)। यह उल्कापिंड अगर धरती पर गिरा तो कई किलोमीटर तक तबाही मचा सकता है क्योंकि इसकी गति काफी ज्यादा तेज है। वहीं अगर यह उल्कापिंड समुद्र में गिरा तो बड़ी सुनामी पैदा कर सकता है। इस उल्कापिंड के धरती की तरफ आने में बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। यह उल्कापिंड दोपहर 12.15 बजे धरती के करीब से गुजरेगा।
उल्कापिंड का नाम
इस एस्टेरॉयड का नाम है- 2010एनवाई65, यह 1017 फीट लंबा है यानि कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से करीब तीन गुना और कुतुबमीनार से चार गुना बड़ा। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी 310 फीट और कुतुबमीनार 240 फीट लंबा है। इस उल्कापिंड की गति 13 किलोमीटर प्रति सेकेंड है, यानि करीब 46,500 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार। वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि यह धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा। हालांकि अंतरिक्ष विज्ञान में इस दूरी को ज्यादा नहीं माना जाता।
क्या कहते हैं नासा के वैज्ञानिक
नासा के वैज्ञानिक उन सभी एस्टेरॉयड्स को धरती के लिए खतरा मानते हैं जो धरती से 75 लाख किलोमीटर की दूरी के अंदर निकलते हैं, इन तेज रफ्तार गुजरने वाले खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस (NEO) कहते हैं। सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले इन छोटे-छोटे खगोलीय पिंडों को एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह कहते हैं। ये ज्यादातर मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। इनसे कई बार धरती को भारी नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।
पहले भी गुजरा था धरती के पास से
उल्कापिंड के धरती के पास से गुजरने की जून में यह तीसरी घटना है। इससे पहले यह 6 जून को धरती के करीब से गुजरा था और इसके बाद 8 जून को 2013एक्स22 एस्टेरॉयड नाम का उल्कापिंड धरती के पास से गुजरा था। साल 2013 में भी चेल्याबिंस्क एस्टेरॉयड रूस में गिरा था। तब इसके गिरने से 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे और हजारों घर क्षतिग्रस्त हुए थे।