Edited By Mansa Devi,Updated: 04 Dec, 2025 02:32 PM

नोएडा में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर बना हुआ है और इसका असर सीधे लोगों की सेहत पर दिखाई देने लगा है। शहर में रहने वाली आबादी सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और थकान जैसी समस्याओं से जूझ रही है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बुधवार को...
नेशनल डेस्क: नोएडा में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर बना हुआ है और इसका असर सीधे लोगों की सेहत पर दिखाई देने लगा है। शहर में रहने वाली आबादी सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और थकान जैसी समस्याओं से जूझ रही है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बुधवार को नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया। शहर का AQI 365 और ग्रेटर नोएडा का 324 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।
लोग अपने आसपास की स्थिति में सुधार लाने के लिए लगातार सीपीसीबी के समीर ऐप और एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शिकायतें भेज रहे हैं, लेकिन ज्यादातर शिकायतों पर कार्रवाई न होने के कारण निवासियों में नाराज़गी बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी न तो कोई टीम मौके पर पहुंचती है और न ही समाधान दिखाई देता है।
बोर्ड के दावों और हकीकत में बड़ा फर्क
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी दावा करते हैं कि समीर ऐप और एक्स के जरिए आई 99% शिकायतों पर कार्रवाई की गई है। लेकिन जब इस संबंध में RTI दाखिल की गई, तो बोर्ड के दावों की हकीकत सामने आ गई। रिपोर्ट में पता चला कि वर्ष 2025 में दर्ज शिकायतों में से 38 प्रतिशत शिकायतें अभी तक निस्तारित ही नहीं हुई हैं। इससे यह साफ होता है कि शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और विभागीय लापरवाही की वजह से शहर की हवा और खराब हो रही है।
720 शिकायतें, 265 अब भी पेंडिंग
वर्ष 2025 में सीपीसीबी को कुल 720 शिकायतें मिलीं। इनमें समीर ऐप से 219 और एक्स से 511 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से केवल 465 शिकायतों का निपटारा किया गया है जबकि 265 शिकायतें अभी भी लंबित हैं।
इन शिकायतों में मुख्य रूप से—
➤ निर्माण स्थलों पर धूल उड़ना
➤ बिना कवर के सामग्री ढोते ट्रक
➤ वाहनों से निकलता जहरीला धुआं
सड़कों पर जमा कूड़ा और कचरा जलाना
जैसी समस्याएं शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतें भेजने के बाद भी कार्रवाई सिर्फ कागज़ों में दिखती है, जमीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता।
जुर्माना भी सिर्फ औपचारिकता?
बोर्ड यह भी दावा करता है कि रोजाना प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन शहर की हालत देखकर यह स्पष्ट है कि कार्रवाई का असर बिल्कुल नगण्य है। लोग मानते हैं कि अगर शिकायतों पर सच में प्रभावी तरीके से कदम उठाए जाते, तो हवा इतनी खराब स्थिति में न पहुंचती।
लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निवासी अब सवाल उठा रहे हैं कि जब शिकायतों पर ही काम नहीं होगा, तो शहर की हवा कैसे सुधरेगी? ऐसे में लोग यह सोचकर परेशान हैं कि अपनी समस्या किसके सामने रखें ताकि उनकी शिकायत सुनी जाए और हालात में सुधार आ सके।